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दुर्ग

गैंगस्टर तपन के लिए पुलिस के अधिकारी और जवान ने किया वर्दी को दागदार, कोर्ट ने सुनाई चार साल की सजा

एक रिटायर्ड एएसआई और आरक्षक को न्यायालय ने सजा सुनाई। दोनों ने गैंगस्टर तपन सरकार को भागने में मदद की थी।

दुर्गJun 02, 2019 / 01:54 pm

Dakshi Sahu

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गैंगस्टर तपन के लिए पुलिस के अधिकारी और जवान ने किया वर्दी को दागदार, कोर्ट ने सुनाई चार साल की सजा

दुर्ग. एक रिटायर्ड एएसआई और आरक्षक को न्यायालय ने सजा सुनाई। दोनों ने गैंगस्टर तपन सरकार को भागने में मदद की थी। दोनों उसे अपनी अभिरक्षा में लेकर जगदलपुर से दुर्ग न्यायालय लेकर आए थे। रास्ते में ही भागने का प्लान बना लिया था। मोहन नगर पुलिस को इसकी भनक लग गई और गैंगस्टर को अभिरक्षा में लेकर आए पुलिस कर्मियों का भांडा फूट गया। न्यायालय ने सेवानिवृत्त एएसआइ मनबहल सिंह ठाकुर (62) और आरक्षक लोकेश नागेश (39) को दो अलग-अलग धाराओं में दो-दो व गैंगस्टर को पुलिस अभिरक्षा से भागने पर दो साल की सजा सुनाई।
भेजना था जगदलपुर जेल
इस बहुचर्चित प्रकरण पर फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि तपन सरकार विधि पूर्ण अभिरक्षा के अधीन था, जो किसी अन्य अपराध के लिए था और उसे अन्य प्रकरण में दुर्गन्यायालय में होने वाली पेशी में प्रस्तुत करना था। इसके लिए अभिरक्षा में उसे जगदलपुर जेल ने भेजा था। तपन सरकार अन्य आरोपी के सहयोग से प्रेम नगर स्थित अपने जीजा व बहन के घर गया जो कि उसके भागने के प्रयत्न को दर्शित करता है। वहीं पुलिस कर्मी मनबहल व लोकेश लोक सेवक होते हुए भी आरोपी तपन सरकार को प्रतिरोध में रखने के बाद भी न्यायालय की जगह अन्य स्थान पर ले जाकर विधि के प्रतिकूल कार्य किया है।
तपन को बहनोई के घर ले गए थे पुलिस वाले

8 मार्च 2010 को मोहन नगर पुलिस सिकोलाभाठा में गश्त कर रही थी। इसी बीच क्राइम ब्रांच स्टाफ ने सुबह 9.30 बजे सूचना दी कि तपन सरकार को जगदलपुर जेल से दुर्ग लाया गया है। उसे भगाने के उद्देश्य से पुलिस अभिरक्षा में तैनात कर्मचारी उसे प्रेमनगर स्थित तपन सरकार के जीजा व बहन के घर ले गए हैं। सूचना मिलते ही मोहन नगर पुलिस ने पहले तरुण मजूमदार के घर के चारो ओर घेराबंदी की और तपन सरकार को पकडऩे कार्रवाई शुरू की। तपन सरकार पुलिस को देखकर वह अभिरक्षा में तैनात पुलिस कर्मचारियों के साथ घर के पीछे दरवाजे से भागने का प्रयास किया। जिसे पुलिस ने गली से गिरफ्तार कर थाना लाई।
सजा से बचने बनाई थी योजना
तपन सरकार को आभाष हो गया था कि उसे महादेव महार हत्याकांड में सजा होने वाली है। इसी वजह से उसने अभिरक्षा में तैनात पुलिस कर्मचारियों को विश्वास में लिया और लालच देकर अपनी योजना में शामिल किया। जांच में खुलासा हुआ था कि तपन सरकार ने फरार होने जगदलपुर से दुर्ग आते समय योजना बना ली थी।
पुलिस ने घेराबंदी की तो दिया लालच
गैंगस्टर को पकडऩे पुलिस ने प्रेम नगर में जाल फैला रखा था। जैसे ही तपन सरकार अपने जीजा के निवास से भागा पुलिस ने उसे पकडऩे घेराबंदी की। इस दौरान तपन सरकार ने मोहन नगर और क्राइम ब्रांच पुलिस को भागने के एवज में 1 लाख रुपए देने का लालच दिया।
सुनवाई के दौरान एक आरक्षक की मौत
मोहन नगर पुलिस ने इस मामले में एक एएसआइ और दो आरक्षक के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया था। सुनवाई के दौरान आरक्षक सुखराम कश्यप की मृत्यु हो गई। मृत्यु होने पर न्यायालय ने सुखराम का नाम प्रकरण से पृथक कर दिया था।
जिला अभियोजन अधिकारी पुष्पा किरण भगत ने बताया कि दुर्ग न्यायालय का यह पहला प्रकरण है जिसमें आरोपी को भगाने में मदद करने वाले पुलिस अधिकारी व कर्मचारी को न्यायालय ने दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है। दोषी सेवानिवृत्त एएसआई और आरक्षक ने न्यायालय के फैसले को आधार बनाकर अपील करने अवसर प्रदान करने आवेदन प्रस्तुत किया था। इसे आधार बनाकर दोनों आरोपियों को न्यायालय ने जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

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