अलग-अलग तरह की मूर्ति बनाना सीखा उन्होंने करीब चार तरह की अलग-अलग तरह की मूर्ति बनाना सीखा। इस मौके पर प्राचार्य रेखा तिवारी, उप प्राचार्य के ढांढ एवं शिक्षकों ने उनका हौसला बढ़ाया। प्राचार्य रेखा तिवारी ने कहा कि पर्यावरण की चिंता करना हम सभी की जिम्मेदारी है और पत्रिका इसमें अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभा रहा है। बच्चों अब खुद की बनाई प्रतिमा की स्थापना करेंगे तो उन्हें भी प्रकृति का मोल समझ आएगा।
बच्चों ने दिखाया क्रिएशन ट्रेनर कृष्णा चौधरी ने पहले बच्चों को मिट्टी से मूर्ति बनाने के तरीके बताए। जिसमें पहले बॉडी पोश्चर, फिर हाथ और पैर और आखिर में सूंढ़ बनाना सीखा। कई बच्चे ऐसे थे जिन्होंने एक बार में ही बेहतर मूर्ति तैयार कर दी तो कई ने अपनी बनाई मूर्ति में क्रिएटीविटी दिखाई। लड़कियों के मुकाबले लड़कों ने काफी खूबसूरत प्रतिमा बनाई।
पहली बार छुई गीली मिट्टी इस वर्कशॉप में अधिकांश बच्चे ऐसे थे जिन्होंने पहली बार गीली मिट्टी को हाथ लगाया। वे खुश थे कि उन्होंने अपने हाथो से कुछ खास बनाया। सभी अपनी बनाई प्रतिमा साथ लेकर गए और उन्होंने ‘ पत्रिकाÓ से वादा किया कि वे इसे घर पर स्थापित करेंगे। अर्जिता, आरती, संजना, वंशका गोविंदानी, अमृतपाल सैनी, जसविंदर कौर ने बताया कि उन्होंने सुना तो था कि घर पर ही आसानी से मिट्टी के गणेश जी बना सकते हैं,लेकिन यहां जब इसे बनाना सिखाया तो हमें काफी आसान लगा।
मुल्तानी मिट्टी से भी प्रतिमा ट्रेनर कृष्णा चौधरी ने बताया कि मिट्टी तो सबसे पवित्र माना जाता है,लेकिन मुल्तानी मिट्टी, गंगाजल, हल्दी के मिश्रण से भी शुद्ध प्रतिमा बनाई जा सकती है। यह प्रतिमा इतनी पक्की होती है जल्दी नहीं टूटती। इसलिए लोग इसकी स्थापना के बाद विसर्जन के लिए केवल वे एक बार पानी में डूबो कर वापस उसे बाहर निकाल लेते हैं और घर पर सालभर उसे रखते हैं।
बॉक्स
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आज आईएनआईएफडी में
पत्रिका की पहल पर सिविक सेंटर स्थित आईएनआईएफडी सेंटर में पत्रिका की ओर से कृष्णा चौधरी मिट्टी की प्रतिमा बनाने का प्रशिक्षण देंगी। इस मौके पर इंस्टीट्यूट के युवा सहित स्टाफ भी मिट्टी की प्रतिमा बनाना सीखेगा।
पत्रिका की पहल पर सिविक सेंटर स्थित आईएनआईएफडी सेंटर में पत्रिका की ओर से कृष्णा चौधरी मिट्टी की प्रतिमा बनाने का प्रशिक्षण देंगी। इस मौके पर इंस्टीट्यूट के युवा सहित स्टाफ भी मिट्टी की प्रतिमा बनाना सीखेगा।