दुर्ग

एक शौचालय बनाकर दो एजेंसियों को कर दिया भुगतान है, अब 7 हजार टॉयलेट निर्माण ही होगी जांच

नगर निगम में एक शौचालय बनाकर दो एजेंसियों को भुगतान कर देने का मामला खुल चुका है। इस खुलासे के बाद अब 7000 से ज्यादा शौचालयों के भुगतान की नए सिरे से जांच की जाएगी।

दुर्गNov 09, 2018 / 09:37 pm

Naresh Verma

दो एजेंसियों को भुगतान के खुलासे के बाद अब 7000 शौचालयों की जांच

दुर्ग . नगर निगम में एक शौचालय बनाकर दो एजेंसियों को भुगतान कर देने का मामला खुल चुका है। इस खुलासे के बाद अब 7000 से ज्यादा शौचालयों के भुगतान की नए सिरे से जांच की जाएगी। इसके तहत घर-घर सर्वे कर शौचालय की स्थिति व हितग्राहियों के बैंक खाता नंबर और आधार की जानकारी जुटाई जा रही है। अफसरों के मुताबिक इस सर्वे की रिपोर्ट और दस्तावेजों का मिलान कर गड़बड़ी का पता लगाया जाएगा। साल की शुरूआत में रायपुर नाका वार्ड में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालय में गड़बड़ी का खुलासा हुआ था।
यहां एक शौचालय के एवज में दो एजेंसियों को भुगतान कर देने का मामला सामने आया था। हितग्राही सुशीला अधिकारी सीएच नंबर 1500050944 के आवास में बनाए गए शौचालय के नाम पहले श्रीदेवगंगा एजुकेशन एण्ड वेलफेयर सोसाइटी भुगतान किया गया था, इसके कुछ महीनों बाद उसी शौचालय को एक अन्य एजेंसी विद्या महिला स्व सहायता समूह द्वारा बनाया जाना बताकर भुगतान कर दिया गया। इसके लिए बकायदा दूसरी एजेंसी द्वारा बिल भी जमा कराया गया।
सभापति की शिकायत पर दोबारा जांच
निगम सभापति राजकुमार नारायणी ने कार्रवाई पर असंतोष जाहिर करते हुए मामले की शिकायत संभाग कमिश्नर से भी की थी। इसके अलावा उन्होंने अन्य शौचालयों में भी इसी तरह की गड़बड़ी की आशंका जाहिर करते हुए जांच की मांग की थी। निगम सभपाति ने बताया कि उनकी शिकायत के बाद दोबारा सर्वे कर दस्तावेज की जांच कराई जा रही है।
रिटायर्ड अफसर के खिलाफ एफआइआर
मामले का खुलासा होने के बाद तात्कालीन निगम कमिश्नर एसके सुंदरानी ने उपअभियंता विनोद मांझी को जिम्मेदार ठहराते हुए निलंबित कर दिया था। बाद में रिटायर्ड अधिकारी सोनी और फर्जी बिल लगाकर दूसरी बार भुगतान लेने वाली श्रीविद्या महिला स्वसहायता समूह के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराकर खानापूर्तिकर लिया गया।
प्रमाण सहित शिकायत
इस संबंध में नगर निगम के सभापति राजकुमार नारायणी का कहना है कि मामले की प्रमाण सहित कमिश्नर से शिकायत की गई थी। मामला सीधे तौर पर धोखाधड़ी का है, लेकिन केवल निलंबन की कार्रवाई कर खानापूर्तिकर ली गई। सभी दोषियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं कराई गई। दूसरे शौचालयों में भी गड़बड़ी हो सकती है, इसलिए जांच की मांग की थी।
गड़बड़ी का सर्वे कराया जा रहा है
निगम के लोककर्म प्रभारी दिनेश देवांगन ने बताया कि एक शौचालय के लिए दो एजेंसियों को भुगतान का मामला आया था। इस पर कार्रवाई की गई है। दूसरे शौचालयों में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए सर्वे कराया जा रहा है। गड़बड़ी मिली तो जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई होगी।

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