निगम सभापति राजकुमार नारायणी ने कार्रवाई पर असंतोष जाहिर करते हुए मामले की शिकायत संभाग कमिश्नर से भी की थी। इसके अलावा उन्होंने अन्य शौचालयों में भी इसी तरह की गड़बड़ी की आशंका जाहिर करते हुए जांच की मांग की थी। निगम सभपाति ने बताया कि उनकी शिकायत के बाद दोबारा सर्वे कर दस्तावेज की जांच कराई जा रही है।
मामले का खुलासा होने के बाद तात्कालीन निगम कमिश्नर एसके सुंदरानी ने उपअभियंता विनोद मांझी को जिम्मेदार ठहराते हुए निलंबित कर दिया था। बाद में रिटायर्ड अधिकारी सोनी और फर्जी बिल लगाकर दूसरी बार भुगतान लेने वाली श्रीविद्या महिला स्वसहायता समूह के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराकर खानापूर्तिकर लिया गया।
इस संबंध में नगर निगम के सभापति राजकुमार नारायणी का कहना है कि मामले की प्रमाण सहित कमिश्नर से शिकायत की गई थी। मामला सीधे तौर पर धोखाधड़ी का है, लेकिन केवल निलंबन की कार्रवाई कर खानापूर्तिकर ली गई। सभी दोषियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं कराई गई। दूसरे शौचालयों में भी गड़बड़ी हो सकती है, इसलिए जांच की मांग की थी।
निगम के लोककर्म प्रभारी दिनेश देवांगन ने बताया कि एक शौचालय के लिए दो एजेंसियों को भुगतान का मामला आया था। इस पर कार्रवाई की गई है। दूसरे शौचालयों में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए सर्वे कराया जा रहा है। गड़बड़ी मिली तो जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई होगी।