भिलाई. एकाएक इस शहर को जाने क्या हो गया है। एक के बाद एक शिक्षा के मंदिरों में बेटियों के साथ हुई दुष्कर्म की घटना ने न केवल पीडि़त बल्कि हर माता-पिता के दिल को दहला दिया है। आईआईटी में सबसे ज्यादा टॉपर और स्टूडेंट्स भेजने वाले भिलाई की गिनती अब मासूमों के साथ सबसे ज्यादा दुष्कर्म वाले शहर में होने लगी है। चंद लोगों की गंदी सोच और मानसिक विकार का खामियाजा आज मासूम भुगत रहे हैं। मासूमों के माता- पिता इस बात से डरे हुए हैं कि कहीं उनकी बेटी पर किसी दुराचारी की काली साया न पड़े।
पीडोफिलिया से पीडि़त बच्चों के साथ यौन शोषण करने वाले दुराचारी की न कोई अलग पहचान है और न ही उनका कोई ऐसा वर्ग जो उनको चिन्हित करता हो। मनोचिकित्सक कहते हैं कि बच्चों को यौन शोषण का शिकार करने वाले पीडोफिलिया से पीडि़त होते हैं, लेकिन उन्हें बीमार कहना सही नहीं है। मनोचिकित्सक और पुलिस की मानें तो ऐसे लोगों की कोई पहचान या लक्षण नहीं होते जिसे देखकर अंदाजा लगाया जाए कि वे बच्चों के लिए खतरा है।
यह खतरे की घंटी जब कोई घटना होती है तो लोगों को कुछ ऐसी चीजें याद आती है जिसे उन्होंने कभी न कभी अनदेखा किया था यानी अगर कोई ऐसा व्यक्ति तो मासूम का पैरेंट्स नहीं है, लेकिन उसे जरूरत से ज्यादा छूता है या उसे अकेले में बात करने की कोशिश करता है तो समझना होगा कि यह खतरे की घंटी है।
बच्चे ही क्यों टारगेट में पीडोफिलिया से ग्रसित व्यक्ति केवल बच्चों को ही टारगेट इसलिए बनाते हैं क्योंकि वह असहाय होते हैं और वे उनमें साइकोलॉजिकल प्रेशर बनाते हैं। डर के कारण वे अपने साथ हुई कोई भी गलत बात को पैरेंट्स या किसी और से शेयर नहीं कर पाते।
इसलिए विरोध नहीं कर पाते बच्चे यह ऐसे व्यक्ति होते हैं जो लगातार बच्चों के संपर्क में होते हैं और वे बच्चों का पहले भरोसा जीत चुके होते हैं फिर चाहे वह घर हो या स्कूल। खासकर स्कूल में टीचर्स उनके सोशल पैरेंट्स की तरह होते हैं जिससे बच्चे उनकी हर बात मानते हैं फिर चाहे वह अच्छी हो या बुरी। ऐसे में कोई टीचर जब बच्चों के साथ गलत करता है तो वह उसका विरोध आसानी से नहीं कर पाता।
जानिए क्या है पीडोफिलिया मनोचिकित्सक की भाषा में पीडोफिलिया उसे कहते हैं जिसमें व्यक्ति छोटे बच्चों को टारगेट बनाकर उनके साथ सेक्सुअल रिलेशन बनाता है या उनके साथ ऐसा काम करता है जो यौन शोषण की श्रेणी में आता है। मनोचिकित्सक के अनुसार यह एक मानसिक विकार है।
इन बातों की न करें अनदेखी 1. बच्चों के स्कूल में ऐसा व्यक्ति जो नशे का आदी हो
2. स्कूल में या आसपास ऐसा व्यक्ति जिसकी सामाजिक पृष्ठभूमि सही न हो, जैसे वह परिवार से दूर हो, अकेला रहता हो।
3.अगर कोई व्यक्ति बच्चों को लगातार पर्सनल टच कर रहा हो या उन्हें अकेले में ले जाने की कोशिश करे।
तो बच्चे से पूछताछ जरूर करें
बच्चा अगर उदास हो, गुमसुम हो, उसे नींद न आती हो,डरा हुआ हो, उसे भूख नहीं लग रही।
माइल स्टोन मामले में प्रशासन की टीम उलझी
माइल स्टोन मामले में 15 दिन बीत जाने के बाद शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की जांच टीम कोई नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। जिला प्रशासन की टीम ने अपना प्रथम प्रतिवेदन कलक्टर को सौंपा है, लेकिन अभी पीडि़ता की मां और बच्ची का बयान बाकी है। शिक्षा विभाग की जांच भी कुछ ऐसी ही चल रही है। सबकुछ होने के बाद भी टीम के सदस्य कुछ निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहे हैं कि आखिर घटना स्कूल में किस जगह हुई।
स्कूल प्रबंधन ने कुछ और दस्तावेज मंगाए
सीसीटीवी फुटेज में कुछ भी हासिल नहीं होने के बाद विभाग ने स्कूल प्रबंधन ने कुछ और दस्तावेज मंगाए हैं। जिला प्रशासन की जांच टीम शनिवार को फिर से स्कूल की प्राचार्य और उन लोगों का बयान लेगी जो सीसी टीवी फुटेज में संदिग्ध कमरे के आसपास नजर आ रहे हैं। इस टीम ने पीडि़ता से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन परिजनों ने यह कहकर मिलने से मना कर दिया कि बच्ची की तबियत ठीक नहीं है।
चाइल्ड लाइन पहुंची बच्ची के पास
केन्द्रीय विद्यालय में एचएम से प्रताडि़त नन्ही छात्रा का आज भी बयान नहीं हो पाया। गुरुवार को सीडब्लूसी की बैठक नहीं होने की वजह से अब शुक्रवार को बच्ची को बयान के लिए लाया जा सकता है। बच्ची से मिलने चाइल्ड लाइन के सदस्य पीडि़ता के घर पहुंचे थे। टीम ने बच्ची और उनके माता-पिता से भी बातचीत की। आज मासूम की मेडिकल जांच भी कराई गई। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष कल सुबह बच्ची को पेश किया जाएगा और उसका बयान होगा। बयान के लिए बच्ची को चाइल्ड लाइन के सदस्य और पुलिस सादे ड्रेस में होगी।
साइकोलॉजिकल स्ट्रेटजी टेस्ट हो अनिवार्य
सेंट्रल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस के डायरेक्टर डॉ. प्रमोद गुप्ता ने बताया कि ब च्चों के साथ होने वाली यौन शोषण की घटनाओं में ज्यादातर आरोपी भरोसे वाले लोग होते हैं। भिलाई के स्कूलों में लगातार मामूसों के साथ हुई घटना में आरोपी स्कूल स्टाफ ही है। ऐेसे में जरूरी है कि स्कूल में भर्ती से पहले उनका साइकोलॉजिकल टेस्ट होना चाहिए जिसमें पर्सनॉलिटी स्ट्रेटजी के साथ-साथ सोशल और इमोशनल नजरिया जानना अनिवार्य हो।
बच्चों को पर्सनल टच के बारे में बताएं
कई बार इस टेस्ट के जरिए व्यक्ति का नेचर समझ आ जाता है। इसके जरिए काफी हद तक हम लोगों की पहचान कर सकते हैं। इन सब के साथ- साथ ज्यादा जरूरी है कि हम बच्चों को पर्सनल टच के बारे में बताएं ताकि वे अलर्ट रहें। स्कूल मैनेजमेंट को भी चाहिए कि वे ऐसे लोगों को भर्ती न करें जो पढ़े-लिखे तो हैं पर उनका व्यवहार सही नहीं है।
इन घटनाओं ने किया शर्मसार
एमजीएम स्कूल में फरवरी में एक के बाद एक लगातार तीन मासूमों के साथ हुई घटना को 9 महीने बीत चुके हैं और कोर्ट में अब तक सिर्फ पीडि़तों का बयान ही चल रहा है।
डीपीएस रिसाली की चार छात्राओं ने अपने ही स्कूल के हिन्दी शिक्षक पर छेडख़ानी का आरोप लगाया। अब तक इस मामले की सुनवाई भी नहीं शुरू हो चुकी है।
माइल स्टोन एकेडमी स्कूल में 15 दिन पहले एक ड्राइवर पर मासूम के साथ अनाचार करने का आरोप लगा। अब तक पुलिस के अलावा शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की जांच पूरी नहीं हुई है। स्कूल की छुट्टी के बाद घर जा रही दूसरी की छात्रा को मोहल्ले का एक युवक साइकिल पर बिठाकर खुर्सीपार स्टेडियम के सुनसान इलाके में ले गया। मासूम का कपड़ा उतारकर दरिंदा अनाचार का प्रयास किया, लेकिन बच्ची के चीखने- चिल्लाने के कारण अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सका।
व्यक्ति की मानसिक विकृति
पुलिस अधीक्षक अमरेश मिश्रा ने कहा कि शहर में बच्चों के साथ हो रही घटना या रिश्तों के बीच होने वाले अपराध में आरोपियों की स्ट्रेटजी को परखना आसान नहीं होता। लोगों के चरित्र को शिक्षा से नहीं मापा जा सकता। कई बार अनपढ़ व्यक्ति भी मदद कर लोगों के लिए मिसाल बन जाते हैं और पढ़े-लिखे अपराध करने लगते हैं। इन सारी घटनाओं के पीछे कही न कही व्यक्ति की मानसिक विकृति नजर आती है।
Hindi News / Durg / इस शहर की कड़वी सच्चाई: 10 माह में 100 से अधिक मासूम अनाचार के शिकार