संचालक ने लौटा दी थी प्लान
इससे पहले जुलाई 2018 में मास्टर प्लान पर दावा-आपत्तियां ली गई थी। जिसमें 1208 दावा-आपत्तियां की गई। रिव्यू कमेटी ने सितंबर में इनमें से 1013 आपत्तियों को खारिज कर दिया था। वहीं 168 आपत्तियों पर निर्णय का संचालक पर छोड़ते हुए शासन को स्वीकृति के लिए मास्टर प्लान भेज दिया था, लेकिन संचालक ने आपत्तियों के साथ प्लान लौटा दिया था।
समिति ने किए ये अहम फैसले
0 ग्रामीण इलाकों में अब कृषि भूमि पर ग्रीन इंडस्ट्रीज यानि कृषि आधारित और छोटे उद्योग लगाने की अनुमति जाएगी। इससे प्लान में शामिल किए गए 99 गांवों के किसानों को फायदा होगा।
0 आवासीय इलाके जहां 80 से 100 फीट चौड़ी सड़कें प्रस्तावित की गईं है, वहां सड़कों की चौड़ाई जितनी डेफ्थ में भवनों के प्रथम माले तक व्यवसायिक उपयोग की अनुमति दी जाएगी।
0 विकसित कॉलोनियों में जहां व्यवसायिक गतिविधियां चल रही हैं, वहां की सड़कों को वाणिज्यिक घोषित किया जाएगा। यहां सड़क से 30 फीट डेफ्थ तक व्यवसाय की अनुमति दी जाएगी।
0 ग्रामीण क्षेत्र में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए तय सरकारी जमीन के आसपास कृषि भूमि को ग्रीन लैंड प्रस्तावित किया गया था। इसकी जगह अब सरकारी जमीन पर ही ग्रीन जोन बनाया जाएगा।
0 ग्रामीण क्षेत्र की चिन्हित सड़कों के किनारे आवासीय उपयोग का दायरा बढ़ाया जाएगा। अभी यहां 30 मीटर डेफ्थ आवासीय रखा गया है। इसे परीक्षण के बाद 100 मीटर तक किया जाएगा।
पाटे नहीं जाएंगे नहर
बैठक में वॉटर बॉडीज और ग्रीनरी को बचाए रखने पर ज्यादा फोकस किया गया। राजधानी रायपुर सहित कुछ जगहों पर सिंचाई नहरों को पाटकर सड़क बनाए जाने का जिक्र करते हुए समिति के कई सदस्यों ने ऐसे नहरों को बचाए रखने पर जोर दिया। मंत्री ताम्रध्वज साहू ने भी इसे अनुचित करार देते हुए विकल्प पर जोर दिया। इस पर नहरों और नालियों को पाटे बिना जरूरत अनुसार उनके किनारे सड़क बनाने का निर्णय किया गया।