दरअसल दुर्गोत्सव में अब तक मां भगवती के विभिन्न स्वरूपों में प्रतिमाओं की स्थापना और पूजन का चलन रहा है, लेकिन इस बार पंडालों में मां दुर्गा के साथ भगवान शिवजी की भी प्रतिमा स्थापना की तैयारी चल रही है। इसके लिए पूजा समितियों द्वारा मूर्तिकारों से दुर्गा के साथ शिवजी की भी प्रतिमाओं की डिमांड की जा रही हैं। शिल्पग्राम थनौद के मूर्तिकार लव चक्रधारी बताते हैं कि इस बार करीब 20 फीसदी पूजा पंडालों के लिए मां दुर्गा के साथ शिव जी की प्रतिमा की डिमांड आ रही है। अधिकतर समितियों की पसंद मां दुर्गा की प्रतिमा के बैकग्राउंड में भगवान शिव जी के स्वरूप अथवा सामने पूजा के लिए शिवलिंग की प्रतिमा है।
जिला मुख्यालय से महज 12 किमी दूर स्थित शिल्पग्राम थनौद मिट्टी की प्रतिमाओं के निर्माण के लिए विख्यात है। यहां के चक्रधारी परिवार के साथ लगभग हर दूसरे घर में पूरे साल देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का निर्माण चलता है। यहां के मूर्तिकार भगवान गणेश और मां दुर्गा के साथ डिमांड के अनुसार दूसरी प्रतिमाओं का भी निर्माण करते हैं। यहां के शिल्पकार परिवारों की मेहनत व समर्पण का नतीजा है कि छोटे से गांव से निकलकर उनकी कला न सिर्फ प्रदेश, बल्कि मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल के साथ महाराष्ट्र व माया नगरी मुंबई तक भी पहुंच चुकी है। गांव के करीब 40 वर्कशॉप में इस बार भगवान गणेशजी की लगभग 10 हजार छोटी और 1200 से ज्यादा बड़ी प्रतिमाओं का निर्माण किया गया। वहीं दुर्गोत्सव के लिए करीब 2000 दुर्गा जी की प्रतिमाओं के निर्माण का कार्य चल रहा है। मूर्तिकार लव चक्रधारी बताते हैं कि उनके वर्कशॉप में दुर्गाजी की 55 प्रतिमाओं का निर्माण चल रहा है। इसमें से 20 प्रतिमाओं के साथ भगवान शिव जी की प्रतिमा की डिमांड है।
विडंबना – आस्था का केंद्र फिर भी उपेक्षित मूर्तियों के निर्माण के कारण लोगों की आस्था से जुड़े होने के बाद भी थनौद गांव और यहां के मूर्तिकार सुविधाओं के मामले में उपेक्षित हैं। शासन प्रशासन की ओर से मूर्तिकारों और मूर्तिकला को आगे बढ़ाने कोई भी पहल नहीं किया जा रहा है। लिहाजा ये मूर्तिकार गणेश और दुर्गाजी की प्रतिमा निर्माण तक सीमित रह गए हैं। प्रतिमाओं की रवानगी के दौरान थनौद में तीन से चार दिन तक मेले जैसा माहौल रहता है। इसके अलावा लोग प्रतिमाएं देखने पहुंचते हैं। ऐसे लोगों के लिए विश्राम, शौचालय आदि तक की व्यवस्था नहीं होती।
इस बार तीन से 18 फीट की प्रतिमा मूर्तिकार राधेश्याम चक्रधारी ने बताया कि थनौद में इस बार 3 से 18 फीट तक की प्रतिमाएं तैयार की जा रही है। छोटी मूर्तियां आसानी से मिल जाती है, इसलिए यहां आर्डर कम आता है, लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए प्रदेश के लगभग सभी बड़े शहरों व अन्य प्रदेशों से भी लोग यहां आते हैं। इस बार सबसे बड़ी 18 फीट की दुर्गाजी की प्रतिमा सेक्टर 5 भिलाई नगर के लिए महापौर नीरज पाल के आर्डर पर तैयार किया जा रहा है। गोंदिया व भंडारा से भी बड़ी प्रतिमाओं के ऑर्डर हैं।
थनौद की प्रमिताओं की यह खासियत थनौद की प्रतिमाओं की खासियत आकर्षक नैन-नक्श होती है। यहां के कारीगर कोई भी फोटो देखकर हूबहू आकृति तैयार करने में पारंगत हंै। लव चक्रधारी बताते हैं कि प्रतिमा निर्माण के दौरान धार्मिक आस्था का भी पूरा ख्याल रखा जाता है।
देवीजी की प्रतिमा में कोई भी खंडित हिस्सा स्वीकार्य नहीं है, इसलिए कोई भी हिस्सा अधूरा न रहे इसका ध्यान रखा जाता है। जबकि गणेशजी और दूसरे देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की ऐसी बाध्यता नहीं है। स्वच्छता व सादगी का पूरा ध्यान रखते हैं। इससे पहले तक नवरात्रि में केवल दुर्गा जी की प्रतिमाओं की डिमांड होती थी, लेकिन इस बार भगवान शिवजी की प्रतिमाओं की भी बड़ी संख्या में डिमांड आई है। दुर्गा जी के साथ अलग-अलग स्वरूपों में भगवान शिवजी की 20 प्रतिमाओं का ऑर्डर है। -लव चक्रधारी, मूर्तिकार, शिल्पग्राम थनौद