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हजारों साल पुरानी प्राकृतिक गुफा को बनाएंगे बायोलॉजिकल रिसर्च पार्क गुफाओं में
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हमेशा नजरअंदाज किया गया। प्रशासन की इस अनदेखी के कारण लोगों की जान खतरे में पड़ सकती हैं। प्राकृतिक रूप से बने होने के कारण यह पत्थरों के बीच से घिरा हुआ है। सुरक्षा के तौर पर सभी गुफा को चिन्हांकित कर इसे सुरक्षित करने प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे कि अंबिकापुर जैसे घटना दोबारा न हो तथा लोगों की जान पर न बन आए। भोरमदेव अभ्यारण्य अंतर्गत भी दर्जनभर गुफा है, जिसे सुरक्षा की दृष्टि से उजागर नहीं किया गया है। इन गुफा में बाघों का रहवास है।
वन विभाग के अधिकारियाें की माने तो अभ्यारण्य क्षेत्र में पर्याप्त प्राकृतिक गुफा हैं, जहां बाघों का रहवास हैं। सुरक्षा व शिकारियों के डर से इसे उजागर नहीं किया जा सकता। जिले के वनांचल क्षेत्रों में कई प्राकृतिक गुफा मौजूद हैं, लेकिन यह प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। ज्यादातर गुफा में जाने के लिए मार्ग ही नहीं है। पगडंडी व उबड-खाबड़ रास्तों से होकर यहां तक पहुंचा जाता है। यदि मार्ग बना दिये जाते हैं, तो गुफा के इतिहास, संरचना सहित पूरी जानकारी का पता लग सकता है।
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छत्तीसगढ़ की 21 रहस्यमयी गुफा…प्राकृतिक सौंदर्य देखकर चकित रह जाते हैं सैलानी कवर्धा जिले के बोड़ला ब्लॉक के कुसुमघटा गांव में अवसरपाट, सहसपुर लोहारा में ग्राम बड़ोदा के पास जोगीगुफा सहित ऐसे 21 गुफाओं को वन विभाग द्वारा चिन्हांकित है। यह गुफा लोगों के आकर्षणका केन्द्र बिन्दु है। रोजाना दर्जनों पर्यटक इन गुफाओं की खूबसूरती निहारने पहुंचते हैं।
यहां पढ़ें पूरी खबर छत्तीसगढ़ का ये जिला कर रहा विश्व धरोहर बनने का दावा जिला प्रशासन द्वारा जिले के पर्यटन को विश्व पटल पर स्थापित करने एवं पहचान दिलाने के लिए प्रयास कर रहा है। जिले में पर्यटकों की सुविधा के लिए अधोसंरचना विकास कार्यों सहित इससे जुड़ी हुई आकर्षक गतिविधियों को समाहित करने का प्रयास किया।
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