CG News: कोर्ट के आदेश पर 27 अक्टूबर तक था समय
CG News: किसी भी गौण खनिज के खदानों की अनुमति से पहले पर्यावरण पर प्रभाव को लेकर आंकलन कराया जाता है। इसकी निश्चित प्रक्रिया है। इससे पहले तक ऐसे गौण खनिज खदानों को डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी द्वारा पर्यावरणीय एनओसी दे दी जाती थी। CG News: लेकिन इसमें स्थानीय स्तर पर घालमेल और मिलीभगत से पर्यावरण पर दुष्प्रभावों और स्थानीय लोगों की सहमति को दरकिनार कर एनओसी जारी कर दिए जाने की शिकायत रहती थी। इसकी लगातार शिकायतों को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त आदेश जारी किए थे।
CG News: जिसके मुताबिक अब गौण खनिज के खदानों के संचालन के लिए डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी के एनओसी मान्य नहीं होंगे और स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी के एनओसी के बिना खदानों को संचालन नहीं किया जा सकेगा। इससे पहले तक जिले के 75 पत्थर खदान डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी के एनओसी पर संचालित किए जा रहे थे।
जनसुनवाई में विरोध, इसलिए नहीं रूचि
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद पर्यावरण विभाग ने पहले ही इस संबंध में गाइड लाइन जारी कर खदान संचालकों को स्टेटे इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी से पुनर्मूल्याकन के लिए कहा था, लेकिन किसी भी खदान संचालक ने इस पर रूचि नहीं ली। इसके लिए प्रभावित गांव में जनसुनवाई कराया जाना है। सेलूद क्षेत्र में जनसुनवाई में खदानों को लेकर लगातार विरोध सामने आता रहा है। ऐसे में खदान संचालकों के लिए स्टेट की एनओसी मुश्किल हो रहा है। खदानों के बंद होने की स्थिति बन गई है।