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CG Election 2023 : पाटन में भूपेश vs विजय, गृहमंत्री साहू के बेमेतरा जाने के अटकलों पर विराम

CG Assembly Election 2023 : कांग्रेस आलाकमान ने लंबे इंतजार के बाद अंतत: रविवार को विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के नामों की पहली सूची जारी कर दी।

दुर्गOct 16, 2023 / 08:14 am

Kanakdurga jha

CG Election 2023 : पाटन में भूपेश vs विजय, गृहमंत्री साहू के बेमेतरा जाने के अटकलों पर विराम

दुर्ग। CG Assembly Election 2023 : कांग्रेस आलाकमान ने लंबे इंतजार के बाद अंतत: रविवार को विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के नामों की पहली सूची जारी कर दी। सूची में 30 विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों के नाम शामिल है। इसमें जिले के पाटन और दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है। पाटन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का परंपरागत सीट है, लिहाजा उन्हें पाटन से ही चुनाव मैदान में उतारा गया है।
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हालांकि उनके नाम की घोषणा में देरी पर विपक्षी दल भाजपा के नेता सीट बदले जाने का दावा भी कर रहे थे। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के भी दूसरे विधानसभा में शिफ्टिंग की अटकले चल रही थी, लेकिन उन्हें फिर से दुर्ग ग्रामीण से उतारा गया है। इस सीट पर लगातार दूसरी बार चुनाव लडऩे वाले वे पहले नेता होंगे। शेष चार विधानसभा क्षेत्र दुर्ग शहर, भिलाई नगर, वैशाली नगर और अहिवारा के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा अभी नहीं की गई है। यहां के भी प्रत्याशियों के नामों की घोषणा एक-दो दिन में कर दिए जाने की बात कही जा रही है।
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भूपेश बघेल : प्रदेश के मुख्यमंत्री का दायित्व है। पाटन से छह बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। पहले लगातार तीन बार चुनाव जीते। वर्ष 2008 में उन्हें पराजय झेलनी पड़ी। उसके बाद फिर लगातार दो बार जीते। इस तरह कुल 5 बार चुनाव जीतने में सफल रहे। यह पाटन में उनका सातवां विधानसभा चुनाव होगा। पिछले बार वे पीसीसी अध्यक्ष के रूप चुनाव मैदान में थे।
ताकत : मुख्यमंत्री का महत्वपूर्ण दायित्व। क्षेत्र के मतदाताओं से वर्षों पुराना जुड़ाव व ज्यादातर लोगों से नजदीकी संबंध। पिछले पांच सालों में क्षेत्र में जबरदस्त विकास कार्य। विधानसभा चुनाव में इससे पहले प्रतिद्वंद्वी सांसद विजय बघेल को वर्ष 2003 और वर्ष 2013 में पराजित कर चुके हैं।
चुनौती : मुख्यमंत्री बनने के बाद व्यस्तता के चलते क्षेत्र व कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क कम। नजदीकी और प्रभावी नेताओं के कामकाज को लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं में नाराजगी।

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विजय बघेल : प्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीत दर्ज करने वाले सांसद। सांसद के अलावा तीन बार पाटन से विधानसभा का भी चुनाव लड़ चुके हैं। इसमें वे एक बार चुनाव जीतने में भी सफल रहे। पाटन में विधानसभा के लिए यह उनका चौथा चुनाव होगा। भिलाई तीन चरोदा पालिका के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
ताकत : लोकसभा के चुनाव में 3.91 लाख मतों से बड़ी जीत। कुर्मि समाज के कार्यक्रमों में सक्रियता। मौजूदा प्रतिद्वंद्वी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 2008 में एक बार पटकनी दे चुके हैं। लोकसभा में पाटन के विधानसभा के 27 हजार मतों के गड्ढे को पाटकर 23 हजार वोटो से जीत।
चुनौती : सांसद के रूप में बड़े क्षेत्र के दायित्व के कारण पाटन के मतदाताओं से निरंतर संपर्क में कमी। पिछले चुनाव में ड्रॉप किए जाने के बाद सक्रियता में कमी। साहू समाज में टिकट नहीं दिए जाने को लेकर नाराजगी।
ताम्रध्वज साहू: प्रदेश के गृहमंत्री का महत्वपूर्ण दायित्व संभाल रहे हैं। विधानसभा के पांच चुनाव लड़ चुके हैं। इनमें से चार और लोकसभा का एक चुनाव जीत चुके हैं। दुर्ग ग्रामीण के अलावा धमधा और बेमेतरा से भी विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। यह उनका छठां विधानसभा चुनाव है।
ताकत : गृहमंत्री के साथ पीडब्लयूडी व कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का दायित्व। जिले के बाहुल्य साहू समाज का प्रतिनिधित्व व लंबा राजनीतिक अनुभव। नए विधानसभा क्षेत्रों में जाकर चुनाव लडऩे का अनुभव। पिछले चुनाव में दुर्ग ग्रामीण से 27 हजार से अधिक मतों से जीत।
चुनौती : पारिवारिक सदस्यों के कामकाज में दखल और व्यवहार के कारण कार्यकर्ताओं और क्षेत्र के लोगों में नाराजगी। पीडब्ल्यूडी और मंडी बोर्ड के टेंडर्स को लेकर विवाद। क्षेत्र में अवैध रेत व मुरूम खनन, सड़कों की खराब क्वालिटी की शिकायतें।
ललित चंद्राकर : जिला भाजपा के महामंत्री का दायित्व। इससे पहले कई वर्षों से संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम करते रहे हैं। वर्ष 2013 से दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के लिए दावेदारी करते रहे हैं। यह उनका पहला विधानसभा चुनाव होगा।
ताकत : प्रतिद्वंद्वी ताम्रध्वज साहू के मुकाबले युवा प्रत्याशी। संगठन में दायित्व के कारण कार्यकर्ताओं से निरंतर संपर्क और खुद के समर्थक। कुर्मि समाज में लगातार सक्रियता और युवाओं के खेलकूद के आयोजनों में भागीदारी। निर्विवाद, सहज व सरल व्यक्तित्व।
चुनौती : इससे पहले तक चुनाव लडऩे का कोई भी अनुभव नहीं। चुनाव मैनेजमेंट के लिए भी कोई भी अनुभवी नेता साथ नहीं। टिकट नहीं मिलने से साहू समाज और दिग्गज नेताओं की नाराजगी।

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