जोधपुर। डगर कितनी भी कठिन क्यों न हो, लेकिन मेहनत और लगन से इसे पार किया जा सकता है। जोधपुर के कैलावा कलां के स्वामीजी की ढाणी में रहने वाले सत्ताराम देवासी का जीवन ऐसी कठिनाइयों से भरा रहा है। लेकिन उन्होंने बता दिया है कि हौसले के आगे कितनी भी बड़ी बाधा को पार किया जा सकता है। हाल ही राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने खुद इनके हौसले को सलाम किया है। सत्ताराम देवासी बताते हैं कि 7 साल की उम्र में वे कक्षा चतुर्थ में पढ़ रहे थे, अचानक एक दिन एक बिजली के तार छू लेने से उनके दोनों हाथ जल गए, हादसे के साल भर तक वे कुछ नहीं कर पाए और यही सोचते रहे कि वे आगे पढ़ पाएंगे या नहीं।
हालांकि ये हाथ सही हो सकते थे पर परिवार की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि वे हाथों का इलाज कर सकें और यह हादसा जीवन भर के लिए अभिशाप बन गया। पर उन्होंने हिम्मत दिखाई और अपनी कमजोरी को ताकत बनाया और पैरों से लिखने का अभ्यास शुरू किया। शुरुआत में देवासी अपने पैरों से कभी मिट्टी पर तो कभी दीवार पर आकृतियां बनाया करते थे। लिखने की कोशिश की तो आकृतियां बहुत बड़ी बन जाती थी, लेकिन अभ्यास से सब कुछ संभव हो गया। आज देवासी फर्राटे से हिन्दी और अंग्रेजी अपने पैरों से लिखते हैं।
गरीबी बनी अभिशाप
देवासी बताते हैं कि उनका परिवार पशुपालन और खेती पर निर्भर है। बारिश होती है तो खेती और पशुपालन से गुजारा हो जाता है, नहीं तो हालात और भी बदत्तर होते हैं। उनका एक छोटा भाई और दो छोटी बहनें हैं, लेकिन गरीबी के कारण वे और छोटी बहन भी पढ़ाई कर पा रही है। गरीबी के चलते उन्हें सीए की कोचिंग लेने में भी परेशानी हो रही है।
सपना अफसर बनने का
देवासी का सपना सिविल सर्विसेज में जाने का है। विकलांगता और गरीबी के बावजूद इन्होंने 10वीं, 12वीं के साथ बीकॉम अच्छे अंकों से की और सीए सीपीटी की परीक्षा में 126 वीं रेंक हासिल कर नया मुकाम बनाया। देवासी फिलहाल अकाउंटिंग में एमकॉम (फाइनल) कर रहे हैं।
Hindi News / Duniya Ajab Gajab / हाथ गंवाए तो पैरों से लिख डाली अपनी किस्मत