नई दिल्ली। आतंक के साए में घिरे सीरिया में जमीनी हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोगों के पास पेट भरने के लिए भी कुछ नहीं बचा। आलम यह है कि इस शहर में बिल्ली और कुत्ते भी नहीं बचे हैं और पेड़ की पत्तियां भी अब दुर्लभ हो गई हैं। भूख के चलते यहां के लोग अब मिट्टी खाने को मजबूर हो गए हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सीरिया के मडाया कस्बे में लोग भुखमरी के कागार पर पहुंच गए हैं और उन्हें मानवीय सहायता की बहुत आवश्यकता है। यहां ईंधन और दवाई की सप्लाई बिल्कुल ठप है। पिछले साल जुलाई महीने से ही सीरियाई प्रेजिडेंट बशर अल-असद की सेना ने इलाके की घेरेबंदी कर रखी है। रेड क्रॉस क कहना है कि इस शहर के लोग ठंड से बचने के लिए प्लास्टिक जला रहे हैं।
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फोर ह्यूमन राइट्स ने बुधवार को कहा था कि कम से कम 23 लोग, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं, वे आईएसआईएस के कब्जे वाले शहर मडाया में मर गए, क्योंकि असद की सेना ने पूरे इलाके में सप्लाई बंद कर रखी है। इन्हें लेबनान के शिया समूह हिजबुल्लाह की सेनानियों से समर्थन मिल रहा है।
विपक्षी सीरियन नेशनल कोअलिशन ने मडाया में मानवीय विनाश की चेतावनी दी है। पास के शहर जबादनी की स्थिति भी मडाया जैसी ही है। संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में सीरिया में चल रहे संघर्ष के कारण 250000 लोग अपनी जान से हाथ धो चुके हैं।
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