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डूंगरपुर

Rajasthan Assembly Election 2023: प्रकृति मेहरबान, स्वच्छता का मान, योजनाएं सुहाती…फिर भी दिल है गुजराती

Rajasthan Assembly Election 2023: उदयपुर से 118 किलोमीटर दूर रतनपुर बॉर्डर… डूंगरपुर जिले का हिस्सा है। इसे गेट-वे ऑफ राजस्थान कहें तो गलत नहीं होगा। यहीं से जीपें और बसें अपने राज्यों की दिशा में वापस घूम जाती हैं।

डूंगरपुरMay 12, 2023 / 07:54 am

Akshita Deora

dungarpur

पंकज वैष्णव/डूंगरपुर. Rajasthan Assembly Election 2023: उदयपुर से 118 किलोमीटर दूर रतनपुर बॉर्डर… डूंगरपुर जिले का हिस्सा है। इसे गेट-वे ऑफ राजस्थान कहें तो गलत नहीं होगा। यहीं से जीपें और बसें अपने राज्यों की दिशा में वापस घूम जाती हैं। ट्रकों के अलावा आते-जाते वाहन देखने से साफ झलकता है कि गुजरात की ओर हमारे लोग रोजगार के लिए जाते हैं और गुजरात से आने वाले राजस्थान घूमने आते हैं। …और यहीं से शुरू होती है डूंगरपुर जिले की यात्रा।

 

पहाड़ों के बीच बल खाती सड़क से मैं बिछीवाड़ा होकर कनबा पहुंचा। यहां के दीपक साद ने बताया कि महज सरकारी दस्तावेज ही राजस्थान के हैं, बाकी आस्था से लेकर रोजगार तक, रिश्तों से लेकर व्यापार तक, सबकुछ गुजरात से जुड़ा है। भुवनेश्वर, उदयपुरा होकर डूंगरपुर शहर से सटे सिन्टेक्स चौराहे पर पहुंचे, जहां की दुकानें बता रही थी कि यहां श्रमिकों का ठहराव ज्यादा है। पास में मिल है, जो अब बंद हो चुकी है। लिहाजा यहां काम करने वाले श्रमिकों ने गुजरात का रुख कर लिया है।

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रेल विकास की दरकार

स्वच्छता को लेकर डूंगरपुर के लोग जागरूक हैं। पर्यटक स्थल भी आकर्षक हैं। पुराने शहर में विरासत और बाहर देहातीपन नजर आया। रेलवे स्टेशन पर दिनेश शर्मा, विपिन ठाकुर ने बताया कि यहां ट्रेन महज एक मिनट ठहरती है। कई बार लोगों की ट्रेन ही छूट जाती है। डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल लाइन का अब भी इंतजार है। बस स्टैंड बेहद छोटा है, जहां बसें भी नाम मात्र की हैं। लोग आवागमन के लिए निजी और छोटे संसाधनों पर निर्भर हैं।

 

84 गांवों का क्षेत्र…नाम चौरासी
गेजुआ घाटा से चौरासी विधानसभा क्षेत्र शुरू होता है। 84 गांवों का क्षेत्र होने से चौरासी नाम पड़ा। पहला गांव आता है गैंजी। यहां गुजरात जाने वाली कई सड़कें मिलती हैं। शराब तस्करों के लिए ये रास्ते मुफीद हैं। गैंजी चौराहा के एक सर्विस सेंटर पर रुककर संचालक दिनेशकुमार पंचाल से बात की तो उन्होंने सरकार की योजनाओं को अच्छा बताया। पत्नी शर्मिष्ठा ने महंगाई राहत कैम्प के बारे में बात की।

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सिंचाई के लिए पानी को लेकर चिंता

गैंजी में ही मिले पूर्व सरपंच भंवरलाल कटारा ने कहा कि यहां सिंचाई के पानी का अभाव है। 50 फीसदी लोग रोजगार के लिए गुजरात जाते हैं। यहां दिहाड़ी 400 तो गुजरात में 1000 रुपए मिलती है। छोटी जोत किसानों को आमदनी कम देती है। बीते कुछ वर्षों से सूअर और रोजड़े भी फसलें चौपट करने लगे हैं। बिजली कटौती स्थायी समस्या है। बोर का भाटड़ा तालाब पर पाल का निर्माण 15 साल से अटका हुआ है। अपराध के मामले में बलात्कार और मौताणा केस कई परिवारों की कमर तोड़ चुके हैं।

 

वीर बाला का स्मारक वीरान

जौथरी, करावड़ा, नेंगाल होकर रास्तापाल पहुंचा। गांव का नाम गुजरात और राजस्थान को बांटने वाले रास्ते के कारण पड़ा। शिक्षा की अलख जगाने वाली वीर बाला कालीबाई यहीं शहीद हुई थीं। हर ओर उनके नाम का बोलबाला है, लेकिन स्मारक उपेक्षा का शिकार है। काली बाई के भतीजे सूरजमल कलासुआ कहते हैं कि 25 साल पहले प्रतिमा स्थापित हुई, लेकिन इसके बाद देखने कोई नहीं आया।


सीमलवाड़ा : पालिका का विरोध, पेट्रोल भी गुजरात का

सीमलवाड़ा चौरासी विधानसभा का मुख्यालय प्रतीत होता है। व्यापारी विपिनकुमार कोठारी, महेश सोनी, गणपतलाल सोनी बताते हैं कि यह आस-पास के 20 गांवों का केंद्र है। जहां जमीन की कीमतें महानगरों जैसी हैं। राजस्थान में महंगे पेट्रोल का यहां ज्यादा असर नहीं है, वजह महज पांच किमी दूर गुजरात सीमा के पेट्रोल पंप से टंकी फुल कर लाते हैं। हाल ही में सीमलवाड़ा को नगर पालिका घोषित किया, जिसे लेकर जनता दो हिस्सों में बंट गई। एक पक्ष ग्राम पंचायत चाहता है, जबकि दूसरा पक्ष पालिका।

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