बीएपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत ने कहा कि बीएपी का अभी किसी एलायंस से जुड़ाव नहीं है और स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का इरादा है। भविष्य में किसी से गठबंधन होगा या नहीं, यह अभी नहीं कह सकते। बीएपी आम राय से होने वाले फैसले के अनुसार कदम बढ़ाएगी।
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आगे इंडिया में शामिल होने पर मतदाताओं की निगाह में छलावे के सवाल पर रोत ने इत्तेफाक करते हुए कहा कि यह सोच कई लोगों के दिमाग में है, लेकिन बीएपी को यह स्वीकारने में संकोच नहीं है कि वह छोटा और क्षेत्रीय दल है। जिन सीटों पर वह चुनाव लड़ रही है, अधिकांश पर जीत के बाद भी वह सरकार नहीं बना पाएगी। बावजूद इसके हम संवैधानिक अधिकारों के लिए आगे बढ़ रहे हैं और नंबर गेम में भले ही छोटे हुए, लेकिन पीछे नहीं हटेंगे और किंगमेकर बनाने में भूमिका निभाएंगे।
इस बीच, वागड़ को लेकर कांग्रेस की रणनीति के संबंध में बातचीत के प्रयास पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा दिनभर व्यस्त बताए गए। प्रदेश महासचिव ललित तुनवाल से संवाद पर उन्होंने कहा कि यह दिल्ली के स्तर का मामला है। प्रदेशाध्यक्ष ही कुछ बता सकते हैं। उधर, लोकसभा चुनाव में राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दूसरी बार फोन पर हुई बातचीत में दिल्ली से इतना ही कहा कि पीपीसी अध्यक्ष बात करे, उसके बाद ही वे कुछ कह सकते हैं। जब वे ही नहीं बोल रहे, तो मैं क्या कहूं। कुल मिलाकर कांग्रेस सोमवार रात तक कुछ कहने की स्थिति में प्रतीत नहीं हुई।
बीएपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि वागड़ को लेकर कांग्रेस से फरवरी में बात हुई। तब उन्होंने महेंद्रजीतसिंह मालवीया को हराने के लिए सीट पहले ही दे दी, तो उपचुनाव में बागीदौरा सीट देने को बीएपी भी सहमत हुई। फिर देशभर में 13 सीट देने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर कांग्रेस नीचे उतरी तो बीएपी ने मात्र पांच सीटों बांसवाड़ा-डूंगरपुर, उदयपुर, रतलाम-झालोद, दाहोद और दादर-नगर हवेली मांगी। इससे भी कांग्रेस पीछे हट गई तो हमने अपने प्रत्याशी उतारने शुरू कर दिए। अब इन पांच में से एकमात्र दाहोद की सीट का प्रत्याशी ही घोषित करना शेष है।
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