कोरोना में वर्क फ्रॉम के चलते इसका इफ़ेक्ट सीधे तौर पर लोगों के मानसिक सेहत के ऊपर पड़ा है साथ ही साथ इसका इफ़ेक्ट लोगों के शारीरिक सेहत के ऊपर भी पड़ा है। ILO और WHO के मुताबिक काम का मेन्टल प्रेशर सीधे तौर पर दिमाग के सेहत के ऊपर पड़ा है, सबसे ज्यादा उनके ऊपर जिनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है।
आजकल न केवल वर्किंग हॉर्स बढ़ा है बल्कि इसी के साथ ही काम का स्ट्रेस भी बहुत ही ज्यादा बढ़ गया है, काम के स्ट्रेस व्यक्ति को हार्ट अटैक और स्ट्रोक के जैसी गंभीर बीमारी का खतरा दो गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
काम के साथ-साथ लाइफस्टाइल और गलत आदत से भी स्ट्रोक का खतरा बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है, स्मोकिंग, नींद न पूरी होने से और बॉडी में सुस्ती बरक़रार रहने से बीमारियों का खतरा दो गुना ज्यादा बढ़ जाता है, ये बॉडी के लिए बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक होता है।
यह भी पढ़ें: लो ब्लड प्रेशर या हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों में है ये अंतर, पहचान कर करें इनका सही इलाजज्यादा देर तक काम करने से न केवल हार्ट की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, वहीं डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के जैसी बीमारियों का खतरा भी बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है। ये सारी बीमारियां धीरे-धीरे बॉडी को खराब कर देती हैं।
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हार्ट से जुड़ी बीमारियों से खुद का बचाव करने के लिए आपको लाइफस्टाइल में बहुत ही ज्यादा बदलावों को लेकर आने कि जरूरत होती है, जैसे कि खान-पान में अधिक ध्यानदेना, प्रॉपर रूटीन फॉलो करना, तेल-मसाले युक्त चीजों का सेवन कम से कम मात्रा में करना, वहीं ज्यादा फायदा चाहते हैं तो रोजाना व्यायाम जरूर करें। इन सारी चीजों से हार्ट से जुड़ी बबीमरियों से खुद का बचाव किया जा सकता है।
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