जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र विभाग के एक शोध में आयुर्वेदिक पौधा हरड़ (टर्मिनलिया चेबुला) कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ प्रभावी पाया गया है। शोधकर्ताओं ने हरड़ के जंगली फल का हाइड्रो-अल्कोहलिक अर्क तैयार कर, टार्गेटेड ड्रग डिलिवरी के जरिए इसे कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचाया और उन्हें समाप्त करने में सफलता पाई। इस अध्ययन से कैंसर उपचार में आयुर्वेदिक पौधों की भूमिका की संभावनाएं और भी बढ़ गई हैं।
हरड़, जिसे आयुर्वेद में 'औषधियों की जननी' और 'चिकित्सा का राजा' कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हर्बल औषधि है। इंटरनेशनल जर्नल नेचुरल प्रोडक्ट्स में प्रकाशित शोध के अनुसार, हरड़ के जंगली फल में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेटिव, एंटी डायबेटिक, एंटी-कार्सिनोजेनिक और एंटी-म्यूटाजेनिक गुण होते हैं। यह त्रिफला जैसी औषधियों में पाचन गुणों के लिए प्रमुख भूमिका निभाता है और भारत, भूटान, तिब्बत, पाकिस्तान, नेपाल, चीन, और श्रीलंका में पाया जाता है।
कैसे तैयार की दवा
जेएनवीयू के वनस्पति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. जीएस शेखावत और डॉ. श्वेता गुप्ता (पोस्ट डाक्टरल फेलो) ने संयुक्त रूप से यह शोध किया है। शोधकर्ताओं ने हरड़ के फल का हाइड्रो अल्कोहलिक अर्क तैयार कर इसके एंटी इन्फ्लेमेशन और एंटी-ऑक्सीडेटिव क्षमता की जांच की। इस दवाई को कैंसर कोशिकाओं तक एक्सोसोम में लोड करके पहुंचाया। एक्सोसोम, लिपिड बाइलेयर युक्त बाह्यकोशिकीय वेसिकल्स हैं, जो अपने बहुत से फायदे के लिए ड्रग-डिलीवरी के एजेंट के रूप में काम में लिए जा रहे हैं। इससे दवाई ने केवल कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं पर ही प्रहार किया।
शोध में पता चला कि हरड़ के जंगली फल के हाइड्रो अल्कोहलिक अर्क में हेपेटो-सेल्यूलर कार्सिनोमा यानी कैंसर जैसी घातक बीमारी को रोकने की अतुलनीय क्षमता है।
प्रो. जीएस शेखावत, वनस्पति शास्त्र विभाग, जेएनवीयू, जोधपुरहमने हरड़ के एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण को स्थापित किया है।
डॉ. श्वेता गुप्ता, पोस्ट डॉक्टरल फैलो, जेएनवीयू जोधपुर