अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो उपचार कराना जरूरी हो जाता है, नहीं तो बैक्टीरिया का संक्रमण, आंखों की सतह पर सूजन आना, कोर्निया का क्षतिग्रस्त हो जाना जैसी जटिलताएं बढ़ जाती हैं। इस समस्या के पीछे क्या वजह है और इसका उपचार क्या है, चलिए जानें।
डाई आई सिंड्रोम के सामान्य लक्षण गंभीर लक्षण जानिए, क्या है ड्राई आई सिंड्रोम का कारण
1. आंसुओं का निर्माण कम होना
आंखो मे सूखापन की समस्या तब होती है, जब आंखें एक्वस फ्ल्युड का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं कर पाती हैं। आंसुओं का कम निर्माण के कारण से ही ऐसा होता है।
1. आंसुओं का निर्माण कम होना
आंखो मे सूखापन की समस्या तब होती है, जब आंखें एक्वस फ्ल्युड का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं कर पाती हैं। आंसुओं का कम निर्माण के कारण से ही ऐसा होता है।
उम्र बढ़ने के कारण
उम्र बढ़ने के साथ आंसुओं का निर्माण कम हो जाता है। 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में आंखो मे सूखापन की समस्या अधिक देखी जाती है। दवाईयों का साइड इफेक्ट
कुछ दवाएं जैसे एंटी हिस्टामिन्स, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, एंटी डिप्रेसेंट्स, उच्च रक्तदाब, मुंहासे और पर्किंसन डिसीज के उपचार के लिए ली जाने वाली दवाओं के साइड इफेक्दट के कारण आंसुओं का निर्माण प्रभावित होता है।
उम्र बढ़ने के साथ आंसुओं का निर्माण कम हो जाता है। 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में आंखो मे सूखापन की समस्या अधिक देखी जाती है। दवाईयों का साइड इफेक्ट
कुछ दवाएं जैसे एंटी हिस्टामिन्स, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, एंटी डिप्रेसेंट्स, उच्च रक्तदाब, मुंहासे और पर्किंसन डिसीज के उपचार के लिए ली जाने वाली दवाओं के साइड इफेक्दट के कारण आंसुओं का निर्माण प्रभावित होता है।
बीमारियों के दुष्प्रभाव
क स्लोगरेन्स सिंड्रोम, रूमैटाइड अर्थराइटिस, कोलेजन वास्क्युलर डिसीज़ेज ऑटोइम्यून डिसीज, थायरॉइड डिसआर्डर या विटामिन ए की कमी के कारण भी टियर ग्लैंड प्रभावित होती है। गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन
लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, उनमें भी आंसुओं का सामान्य उत्पादन प्रभावित होता है।
क स्लोगरेन्स सिंड्रोम, रूमैटाइड अर्थराइटिस, कोलेजन वास्क्युलर डिसीज़ेज ऑटोइम्यून डिसीज, थायरॉइड डिसआर्डर या विटामिन ए की कमी के कारण भी टियर ग्लैंड प्रभावित होती है। गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन
लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, उनमें भी आंसुओं का सामान्य उत्पादन प्रभावित होता है।
नर्व्स का क्षतिग्रस्त होना
लंबे समय तक कांटेक्ट लेंस के इस्तेमाल से कोर्निया की तंत्रिकाओं की संवेदनशीलता प्रभावित होना या लेज़र सर्जरी के कारण तंत्रिकाओं का क्षतिग्रस्त हो जाना। मेलबोमियान ग्लैंड्स का क्लॉग्ड होना
आंखों की पलकों के किनारों पर छोटी-छोटी ग्रंथियां होती हैं, जिन्हें मेलबोमियान ग्लैंड्स कहते हैं, इनके बंद होने या इनकी कार्यप्रणाली गड़बड़ाने से आंसु जल्दी सूख जाते हैं।
लंबे समय तक कांटेक्ट लेंस के इस्तेमाल से कोर्निया की तंत्रिकाओं की संवेदनशीलता प्रभावित होना या लेज़र सर्जरी के कारण तंत्रिकाओं का क्षतिग्रस्त हो जाना। मेलबोमियान ग्लैंड्स का क्लॉग्ड होना
आंखों की पलकों के किनारों पर छोटी-छोटी ग्रंथियां होती हैं, जिन्हें मेलबोमियान ग्लैंड्स कहते हैं, इनके बंद होने या इनकी कार्यप्रणाली गड़बड़ाने से आंसु जल्दी सूख जाते हैं।
आंखों को कम झपकाना
कुछ गतिविधियां जैसे पढ़ना, गाड़ी चलाना या कम्प्युटर पर काम करते समय, हम अपनी पलकों को कम झपकाते हैं, इससे भी आंसुओं का वाष्पीकरण बढ़ जाता है। एसी में बहुत अधिक देर तक रहने से भी आंखों की ये समस्या होती है।
कुछ गतिविधियां जैसे पढ़ना, गाड़ी चलाना या कम्प्युटर पर काम करते समय, हम अपनी पलकों को कम झपकाते हैं, इससे भी आंसुओं का वाष्पीकरण बढ़ जाता है। एसी में बहुत अधिक देर तक रहने से भी आंखों की ये समस्या होती है।
अन्य कारण ड्राई आई सिंड्रोम से बचने के लिए जानिए क्या करें बार-बार आंखें झपकाएं
आप एयर कंडीशन वातावरण में काम करते हैं या लंबा समय स्क्रीन पर बिताते हैं तो अपनी पलकों को बार-बार झपकाते रहें। हर 15 मिनिट में पंद्रह सेकंड का ब्रेक लें और अपनी आंखों को बंद कर लें। इससे आपकी आंखें नम रहेंगी।
आप एयर कंडीशन वातावरण में काम करते हैं या लंबा समय स्क्रीन पर बिताते हैं तो अपनी पलकों को बार-बार झपकाते रहें। हर 15 मिनिट में पंद्रह सेकंड का ब्रेक लें और अपनी आंखों को बंद कर लें। इससे आपकी आंखें नम रहेंगी।
स्क्रीन से आंखों की दूरी तय करें
कंप्यूटर स्क्रीन की स्क्रीन लाइट बहुत ब्राइट न रखें। लैपटॉप और आंखों के बीच कम से कम 12 इंच की दूरी होनी ही चाहिए। डाइट सही करें
खाने में विटामिन ए (हरी पत्तेदार सब्जियां,गाजर, ब्रकोली आदि) और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जैसे अखरोट और वनस्पति तेल आदि अधिक मात्रा में शामिल करें।
कंप्यूटर स्क्रीन की स्क्रीन लाइट बहुत ब्राइट न रखें। लैपटॉप और आंखों के बीच कम से कम 12 इंच की दूरी होनी ही चाहिए। डाइट सही करें
खाने में विटामिन ए (हरी पत्तेदार सब्जियां,गाजर, ब्रकोली आदि) और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जैसे अखरोट और वनस्पति तेल आदि अधिक मात्रा में शामिल करें।
आंखों को तेज हवा से बचाएं
हेयर ड्रायर्स, कार हीटर्स, एयर कंडीशनर्स या पंखे की हवा को सीधे आंखों पर न आने दें। हृयुमिडीफायर, बंद कमरों में सुखी गर्म हवा को नम बनाए रखता है। साथ ही आंखों को तेज और सुखी हवा से बचाने के लिए शील्ड्स, आई ग्लासेस या स्कार्फ का इस्तेमाल करें।
हेयर ड्रायर्स, कार हीटर्स, एयर कंडीशनर्स या पंखे की हवा को सीधे आंखों पर न आने दें। हृयुमिडीफायर, बंद कमरों में सुखी गर्म हवा को नम बनाए रखता है। साथ ही आंखों को तेज और सुखी हवा से बचाने के लिए शील्ड्स, आई ग्लासेस या स्कार्फ का इस्तेमाल करें।
आई ब्रेक्स लें
अगर आप पढ़ रहे हैं या कम्प्यूटर पर काम कर रहे हैं, तो नियमित अंतराल पर विराम लें। कुछ मिनिट या सेकंड के लिए अपनी आंखों को बंद कर लें या बार-बार आंखों को झपकाएं, ताकि आंसु एकसमान रूप से पूरी आंखों में फैल जाएं।
अगर आप पढ़ रहे हैं या कम्प्यूटर पर काम कर रहे हैं, तो नियमित अंतराल पर विराम लें। कुछ मिनिट या सेकंड के लिए अपनी आंखों को बंद कर लें या बार-बार आंखों को झपकाएं, ताकि आंसु एकसमान रूप से पूरी आंखों में फैल जाएं।
धुम्रपान से बचें
यदि आप धुम्रपान करते हैं तो छोड़ दें, क्योंकि धुम्रपान ड्राय आई सिंड्रोम के लक्षणों को गंभीर बना देता है। धुम्रपान करने वालों से भी दूर रहें। आर्टिफिशियल टियर्स (कृत्रिम आंसू) का इस्तेमाल करें
अगर आपको आंखों में सूखापन महसूस होता है तो आंखों में नमी और चिकनापन बनाए रखने के लिए आर्टिफिशियल टियर्स का इस्तेमाल करें।
यदि आप धुम्रपान करते हैं तो छोड़ दें, क्योंकि धुम्रपान ड्राय आई सिंड्रोम के लक्षणों को गंभीर बना देता है। धुम्रपान करने वालों से भी दूर रहें। आर्टिफिशियल टियर्स (कृत्रिम आंसू) का इस्तेमाल करें
अगर आपको आंखों में सूखापन महसूस होता है तो आंखों में नमी और चिकनापन बनाए रखने के लिए आर्टिफिशियल टियर्स का इस्तेमाल करें।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी जानकारियां सूचनात्मक उद्देश्य से लिखी गई हैं। इनमें से किसी भी सलाह पर अमल करने या किसी तरीके को अपनाने का फैसला आपका व्यक्तिगत निर्णय होगा। किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले कृपया किसी विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें।)