चार तरह की होती हैं थैरेपी
यूनानी में चार थैरेपी – इलाज-बिल-गिजा, तदबीर, दवा और यद होती हैं। इलाज-बिल-गिजा में सही खानपान लेने व कुछ चीजों से परहेज की सलाह देकर इलाज करते हैं। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष चीजें खिलाई जाती हैं।
यूनानी में चार थैरेपी – इलाज-बिल-गिजा, तदबीर, दवा और यद होती हैं। इलाज-बिल-गिजा में सही खानपान लेने व कुछ चीजों से परहेज की सलाह देकर इलाज करते हैं। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष चीजें खिलाई जाती हैं।
इलाज-बिल-तदबीर थैरेपी में खून को साफ कर इलाज करते हैं। इसमें शमूमत (अरोमा), जोंक, हिजामा (कपिंग) थैरेपी आदि को प्रयोग में लेते हैं। इलाज-बिल-दवा में मरीजों का इलाज जड़ी-बूटियों से किया जाता है। इसमें रोग और रोगी की अवस्था देखने के बाद ही गोलियां, चूर्ण, चटनी, जोशांदा, माजून आदि देते हैं।
इलाज-बिल-यद एक तरह से आधुनिक सर्जरी जैसी होती है। इस थैरेपी का उपयोग अंतिम विकल्प मानकर ही करते हैं।
जरूरी जांचें व इलाज का तरीका
इस पद्धति में नब्ज (नाड़ी) देखकर, बॉल (यूरिन) और बराज (स्टूल) का रंग देखकर व फिजिकल टैस्ट कर रोग की पहचान करते हैं। बीमारी कोई भी हो सबसे पहले इलाज के रूप में पेट साफ करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। इसमें रोग और उसकी गंभीरता के आधार पर जड़ी-बूटी देते हैं। दवा को उबालकर, भिगो, कूटकर, गोली, शरबत आदि के रूप में देेते हैं।
जरूरी जांचें व इलाज का तरीका
इस पद्धति में नब्ज (नाड़ी) देखकर, बॉल (यूरिन) और बराज (स्टूल) का रंग देखकर व फिजिकल टैस्ट कर रोग की पहचान करते हैं। बीमारी कोई भी हो सबसे पहले इलाज के रूप में पेट साफ करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। इसमें रोग और उसकी गंभीरता के आधार पर जड़ी-बूटी देते हैं। दवा को उबालकर, भिगो, कूटकर, गोली, शरबत आदि के रूप में देेते हैं।
खास यूनानी नुस्खे
– सर्दी-जुकाम की समस्या है तो कलौंजी शहद के साथ या मिश्री-कालीमिर्च को रात में ले सकते हैं।
– पेट संबंधी रोगों में मुजमिन यानी मूंग की दाल खाने से फायदा होता है।
– रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए केसर की 1-2 कतरन एक चम्मच शहद के साथ माह में 1-2 बार ले सकते हैं।
– अपच की परेशानी में हरड़, गुलाब की पत्तियां, सौंफ और मुनक्का को चीनी में मिलाकर ले सकते हैं।
– हड्डियों की मजबूती के लिए जैतून, कुंजद, जर्द आदि के तेल से हफ्ते में 2-3 बार मालिश करें।
– सर्दी-जुकाम की समस्या है तो कलौंजी शहद के साथ या मिश्री-कालीमिर्च को रात में ले सकते हैं।
– पेट संबंधी रोगों में मुजमिन यानी मूंग की दाल खाने से फायदा होता है।
– रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए केसर की 1-2 कतरन एक चम्मच शहद के साथ माह में 1-2 बार ले सकते हैं।
– अपच की परेशानी में हरड़, गुलाब की पत्तियां, सौंफ और मुनक्का को चीनी में मिलाकर ले सकते हैं।
– हड्डियों की मजबूती के लिए जैतून, कुंजद, जर्द आदि के तेल से हफ्ते में 2-3 बार मालिश करें।