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This is misophonia यह है मीसोफोनिया
यह एक साउंड डिसऑर्डर है। जिसमें मरीज किसी भी प्रकार की आवाज से बेचैन हो उठता है। जरूरी नहीं कि तेज आवाज से ही ऐसा होता हो। इस परेशानी में रोगी को खाना खाते समय आने वाली ‘चप-चप’ या पानी पीने की ‘गट-गट’ की आवाज से भी चिढ़ होती है। बर्तन गिरने, बढ़ई या मिस्त्री की ठक-ठक, जमीन पर कुछ रगडऩे और ट्रैफिक की आवाज भी परेशान करती है।
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ट्रिगर अर्थात् जिस आवाज से समस्या होती है, उसे सुनते ही व्यक्ति काफी अलग तरह का व्यवहार करता है। उसकी सांसें तेज हो जाती हैं, चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। वह अपने हाथ-पैर सिकोडऩे लगता है। ऐसी स्थिति होने पर व्यक्ति उस आवाज से काफी दूर अकेले में चला जाता है और घंटों एकांत में बैठा रहता है या फिर उन आवाजों से परेशान होकर आवाज करने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है। लेकिन आवाज खत्म होने के कुछ समय बाद व्यक्ति सामान्य हो जाता है।
ट्रिगर अर्थात् जिस आवाज से समस्या होती है, उसे सुनते ही व्यक्ति काफी अलग तरह का व्यवहार करता है। उसकी सांसें तेज हो जाती हैं, चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। वह अपने हाथ-पैर सिकोडऩे लगता है। ऐसी स्थिति होने पर व्यक्ति उस आवाज से काफी दूर अकेले में चला जाता है और घंटों एकांत में बैठा रहता है या फिर उन आवाजों से परेशान होकर आवाज करने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है। लेकिन आवाज खत्म होने के कुछ समय बाद व्यक्ति सामान्य हो जाता है।
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इस बीमारी के इलाज के लिए मनोचिकित्सक से मिलें। इसका उपचार किसी दवा से नहीं बल्कि बिहेवियरल थैरेपी से किया जाता है। ट्रीटमेंट के साथ-साथ मरीज के घरवालों को भी उसे पूरी तरह से सहयोग करना चाहिए। उसकी इन हरकतों का बिल्कुल भी मजाक न उड़ाएं। इसके अलावा अगर आपको अपने किसी परिजन की ऐसी बीमारी के बारे में पता है तो कोशिश करें कि उसे ऐसी आवाजों का सामना न करना पड़े। अगर काम रोकना संभव न हो तो मरीज को कहीं दूर भेज दें।
इस बीमारी के इलाज के लिए मनोचिकित्सक से मिलें। इसका उपचार किसी दवा से नहीं बल्कि बिहेवियरल थैरेपी से किया जाता है। ट्रीटमेंट के साथ-साथ मरीज के घरवालों को भी उसे पूरी तरह से सहयोग करना चाहिए। उसकी इन हरकतों का बिल्कुल भी मजाक न उड़ाएं। इसके अलावा अगर आपको अपने किसी परिजन की ऐसी बीमारी के बारे में पता है तो कोशिश करें कि उसे ऐसी आवाजों का सामना न करना पड़े। अगर काम रोकना संभव न हो तो मरीज को कहीं दूर भेज दें।
How is misophonia disease? मिसोफोनिया बीमारी कैसे होती है।
जब कोई आवाज कान में गूँजती है, तो उसे मिसोफोनिया बीमारी कहते है। इस बीमारी को समान्य भाषा में “कान का बजना” कहते हैं। जिसमें कानों में अचानक घंटी बजने लगती है या कानों में सनसनी सी ध्वनि उत्पन्न हो जाती है।
जब कोई आवाज कान में गूँजती है, तो उसे मिसोफोनिया बीमारी कहते है। इस बीमारी को समान्य भाषा में “कान का बजना” कहते हैं। जिसमें कानों में अचानक घंटी बजने लगती है या कानों में सनसनी सी ध्वनि उत्पन्न हो जाती है।
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– गुस्सा आना
– हर छोटी बात पर चिंता करना
– जोर से होने वाली आवाज से डर लगना
– डिप्रेशन होना
– अचानक पसीना आना
– दिल की धड़कनो का तेज होना
– गुस्सा आना
– हर छोटी बात पर चिंता करना
– जोर से होने वाली आवाज से डर लगना
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Care to avoid misophonia disease मिसोफोनिया बीमारी से बचने के लिए देखभाल
– अत्यधिक शोर से बचे
– शारीरिक कार्य करते रहे
– सोने के समय में सुधार करे
– अधिक तनाव से बचे
– रोजाना एक्सरसाइज करे
– हेल्दी डाइट का सेवन करने से मिसोफोनिया बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की स्थिति में सुधार मिल सकती है। डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।