एजेंट से ऐसे करें बचाव
एजेंट यानी संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया-वायरस आदि से बचाव के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन जरूरी है। इसमें नियमित मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग, वैक्सीन लगवाना आदि हैं। केवल इन्हीं बातों को ध्यान रखकर न केवल कोरोना बल्कि सौ से अधिक गंभीर बीमारियों से बचाव हो सकता है। बच्चों और बुजुर्गों में टीकाकरण से हर साल लाखों की संख्या में असमय मौतें रोकी जा सकती हैं।
एजेंट यानी संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया-वायरस आदि से बचाव के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन जरूरी है। इसमें नियमित मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग, वैक्सीन लगवाना आदि हैं। केवल इन्हीं बातों को ध्यान रखकर न केवल कोरोना बल्कि सौ से अधिक गंभीर बीमारियों से बचाव हो सकता है। बच्चों और बुजुर्गों में टीकाकरण से हर साल लाखों की संख्या में असमय मौतें रोकी जा सकती हैं।
शरीर:इम्युनिटी न घटने दें
शरीर को मजबूत बनाने के लिए इम्युनिटी कम न होने दें। इसके लिए नियमित ४५ मिनट का व्यायाम, इसमें वॉक के साथ हल्की वेट ट्रेनिंग जैसे वॉल पुश करना, वजन उठाना जरूर शामिल करें। ३० मिनट धूप में रहें। इससे ब्लड में संक्रमण घटाने वाले एजेंट बढ़ते हैं। इसके साथ ही आहार में डेयरी प्रोडक्ट्स, ताजे फल और हरी सब्जियां जरूर शामिल करें।
शरीर को मजबूत बनाने के लिए इम्युनिटी कम न होने दें। इसके लिए नियमित ४५ मिनट का व्यायाम, इसमें वॉक के साथ हल्की वेट ट्रेनिंग जैसे वॉल पुश करना, वजन उठाना जरूर शामिल करें। ३० मिनट धूप में रहें। इससे ब्लड में संक्रमण घटाने वाले एजेंट बढ़ते हैं। इसके साथ ही आहार में डेयरी प्रोडक्ट्स, ताजे फल और हरी सब्जियां जरूर शामिल करें।
वातावरण: सफाई पर ध्यान
डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि से हर साल हजारों मौतें होती हैं। केवल सफाई रखकर इन रोगों से बचाव संभव है। नए साल पर तय करें कि घर व आसपास सफाई रखेंगे। घरों में वेंटिलेशन की व्यवस्था करेंगे। सेहत के लिए हर तरह के प्रदूषण को खत्म करेंगे।
डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि से हर साल हजारों मौतें होती हैं। केवल सफाई रखकर इन रोगों से बचाव संभव है। नए साल पर तय करें कि घर व आसपास सफाई रखेंगे। घरों में वेंटिलेशन की व्यवस्था करेंगे। सेहत के लिए हर तरह के प्रदूषण को खत्म करेंगे।
शरीर की भी सुनें
अपने रुटीन की ही नहीं, शरीर की भी सुनें। शरीर किसी दिन आराम करने के लिए कहता है तो जरूर करें। थकान होने पर व्यायाम न करें। जब भूख लगे तभी खाना खाएं। ऐसी चीजें आदत में लाएं।
अपने रुटीन की ही नहीं, शरीर की भी सुनें। शरीर किसी दिन आराम करने के लिए कहता है तो जरूर करें। थकान होने पर व्यायाम न करें। जब भूख लगे तभी खाना खाएं। ऐसी चीजें आदत में लाएं।
खुद को भी रोज खुश करें
रोज खुद को खुश करने वाले काम अवश्य करें। अपने शौक को समय दें। तनाव से एड्रिनलीन और कार्टिसोल हार्मोन बढ़ता है। इनसे दिल की धडक़न बढ़ती है और पाचन क्रिया का मंद पड़ती है, साथ ही कई गंभीर बीमारियां होती हैं।
रोज खुद को खुश करने वाले काम अवश्य करें। अपने शौक को समय दें। तनाव से एड्रिनलीन और कार्टिसोल हार्मोन बढ़ता है। इनसे दिल की धडक़न बढ़ती है और पाचन क्रिया का मंद पड़ती है, साथ ही कई गंभीर बीमारियां होती हैं।
रिपोर्ट निगेटिव के भी लाभ
कुछ लोगों का मानना है कि नियमित जांचों से पैसा बर्बाद होता है, लेकिन जब आपको जांच के बाद पता चलता है कि कोई बीमारी नहीं है तो वह खुशी भी आपको पैसे से अधिक लाभ देती है। जांच डॉक्टरी सलाह से ही करवाएं।
कुछ लोगों का मानना है कि नियमित जांचों से पैसा बर्बाद होता है, लेकिन जब आपको जांच के बाद पता चलता है कि कोई बीमारी नहीं है तो वह खुशी भी आपको पैसे से अधिक लाभ देती है। जांच डॉक्टरी सलाह से ही करवाएं।
गैजेट्स को जीवन न मानें
गैजेट्स हमारे काम को आसान बनाते हैं, लेकिन इसे ही जीवन न मानें। इसके बिना भी रहने की आदत बनाएं। परिजनों, दोस्तों के साथ नो मोबाइल टाइम बिताएं। इससे भी तनाव कम होता है।
गैजेट्स हमारे काम को आसान बनाते हैं, लेकिन इसे ही जीवन न मानें। इसके बिना भी रहने की आदत बनाएं। परिजनों, दोस्तों के साथ नो मोबाइल टाइम बिताएं। इससे भी तनाव कम होता है।
खुद डॉक्टर न बनें
कोई लक्षण आते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें। कोई भी दवा बिना डॉक्टरी सलाह से न लें। डॉक्टरी सलाह को ही मानें। गूगल से जानकारी करें, लेकिन भरोसा अपने डॉक्टर पर ही करें।
कोई लक्षण आते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें। कोई भी दवा बिना डॉक्टरी सलाह से न लें। डॉक्टरी सलाह को ही मानें। गूगल से जानकारी करें, लेकिन भरोसा अपने डॉक्टर पर ही करें।
चीनी कम खाना
अगर नए साल पर हैल्दी रहना तय करते हैं तो सबसे पहले चीनी कम करें। अधिक चीनी से न केवल शुगर बढ़ता है, बल्कि तेजी से वजन भी बढ़ता है। इससे हार्ट डिजीज, ब्लड प्रेशर आदि दूसरी बीमारियों की आशंका भी बढ़ती है।
अगर नए साल पर हैल्दी रहना तय करते हैं तो सबसे पहले चीनी कम करें। अधिक चीनी से न केवल शुगर बढ़ता है, बल्कि तेजी से वजन भी बढ़ता है। इससे हार्ट डिजीज, ब्लड प्रेशर आदि दूसरी बीमारियों की आशंका भी बढ़ती है।
जंक फूड से दूरी
प्रोसेस्ड व पैकेट वाले फूड बेहद आसान तरीके से बन जाते हैं। स्वाद मेें भी अच्छे होते हैं, क्योंकि इसमें केमिकल और नमक की मात्रा अधिक होती है। इनसे हर तरह की जीवनशैली से जुड़ी क्रॉनिक बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
प्रोसेस्ड व पैकेट वाले फूड बेहद आसान तरीके से बन जाते हैं। स्वाद मेें भी अच्छे होते हैं, क्योंकि इसमें केमिकल और नमक की मात्रा अधिक होती है। इनसे हर तरह की जीवनशैली से जुड़ी क्रॉनिक बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
नशे से दूरी बनाना
अधिकतर गंभीर और लाइलाज बीमारियां, नशा करने से होती हैं। नशे से होने वाली अधिकतर बीमारियां उन स्टेज में पता चलती हैं जबकि इलाज न केवल महंगा होता है, बल्कि मरीज के बचने की संभावना भी कम हो जाती है।
अधिकतर गंभीर और लाइलाज बीमारियां, नशा करने से होती हैं। नशे से होने वाली अधिकतर बीमारियां उन स्टेज में पता चलती हैं जबकि इलाज न केवल महंगा होता है, बल्कि मरीज के बचने की संभावना भी कम हो जाती है।
पानी खूब पीना है
भरपूर पानी पीना न केवल शरीर को हाइड्रेट करता है, बल्कि शरीर को डिटॉक्स और मेटाबॉलिज्म को मजबूत करता है। भरपूर मात्रा में पानी पीने से सिर दर्द और माइग्रेन जैसी बीमारियों से भी राहत मिलती है।
भरपूर पानी पीना न केवल शरीर को हाइड्रेट करता है, बल्कि शरीर को डिटॉक्स और मेटाबॉलिज्म को मजबूत करता है। भरपूर मात्रा में पानी पीने से सिर दर्द और माइग्रेन जैसी बीमारियों से भी राहत मिलती है।
फाइबर डाइट
फाइबर डाइट ज्यादा लेेने से पाचन ठीक रहता है। कब्ज से बचाव होता है। पेट की अधिकतर बीमारियां पाचन ठीक न रहने से होती हैं। हाई फाइबर डाइट लेने से पेट भरा-भरा महसूस होता है। वजन और कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रित रहता है।
फाइबर डाइट ज्यादा लेेने से पाचन ठीक रहता है। कब्ज से बचाव होता है। पेट की अधिकतर बीमारियां पाचन ठीक न रहने से होती हैं। हाई फाइबर डाइट लेने से पेट भरा-भरा महसूस होता है। वजन और कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रित रहता है।
समय से नाश्ता करना
पूरी रात में पेट खाली हो जाता है। खाली पेट रहने से एसिड बनता है। ऐसे में चटपटा खाने की इच्छा होती है। मेटाबॉलिज्म पर असर पर पड़ता है। देरी से खाने के बाद भी शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है। सुस्ती रहती व मोटापा भी बढ़ता है।
पूरी रात में पेट खाली हो जाता है। खाली पेट रहने से एसिड बनता है। ऐसे में चटपटा खाने की इच्छा होती है। मेटाबॉलिज्म पर असर पर पड़ता है। देरी से खाने के बाद भी शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है। सुस्ती रहती व मोटापा भी बढ़ता है।