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जामा ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, 22000 लोगों की रोजमर्रा की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उनके शरीर पर विशेष उपकरण लगाये गये, जो कड़ी कसरत नहीं करते हैं। आस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने कैंसर पर नजर रखने के लिए करीब 7 सालों तक इस समूह के स्वास्थ्य रिकार्ड का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने स्टडी में पाया कि बीच-बीच में चार या पांच मिनट की कड़ी शारीरिक मेहनत वाली जीवनशैली वाले लोगों में उन लोगों की तुलना में कैंसर का कम खतरा होता है जो ‘कड़ी मेहनत’ नहीं करते हैं। कड़ी मेहनत का मतलब उन लोगों से है, जो रोज कुछ मिनट तक तेज शारीरिक गतिविधि करते हैं, जिसको करने के बाद उन्हें पसीना आने लगता है।
क्या करें कि कम हो कैंसर का खतरा
स्टडी में कहा गया है कि पसीना बहा देने वाली चंद मिनट की गतिविधियों में कड़ी मेहनत वाला घरेलू कामकाज, किराने की दुकान से भारी सामान की खरीदारी, बहुत तेज कदमों से चलना (तेज वॉकिंग), बच्चों के साथ थकाने वाले खेल खेलना आदि शामिल हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, जो वयस्क इस तरह की पसीना बहा देने वाली मेहनत नहीं करते हैं, उनमें छाती, कोलोन जैसे अंगों का कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में इससे बचाव करना बेहद जरूरी है।
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प्रोफेसर इमैन्युअल स्टामैटाकिस ने बताया कि मिडिल एज के लोग नियमित रूप से कसरत नहीं कर पाते हैं, इस वजह से उनमें कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि गतिविधि ट्रैकर जैसे पहनने वाले उपकरणों के आने के बाद हम रोजमर्रा की जिंदगी में अचानक की जाने वाली मेहनत संबंधी गतिविधियों का प्रभाव देख सकते हैं। यह देखना बहुत ही शानदार है कि रोजमर्रा की जिंदगी में महज 4 या 5 मिनट की कड़ी मेहनत व कैंसर का खतरा कम करने में मददगार है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।