फल व सब्जी खाएं –
इनमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर व अन्य पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। फाइबर कैंसर पैदा करने वाले फ्री-रेडिकल्स को गेस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ट्रैक तक नहीं पहुंचने देते जिससे इसके होने की आशंका कम हो जाती है। पर्याप्त मात्रा में फल, हरी सब्जियां खाने से आहार नली में कैंसर का खतरा घटता है।
कार्बोहाइड्रेट फूड्स कम लें –
कार्बोहाइड्रेट फूड्स जैसे सफेद चावल, पास्ता व शक्कर शरीर में ऊर्जा व ग्लूकोज के स्त्रोत होते हैं, लेकिन इन्हें ज्यादा खाने से बचना चाहिए। ये खाद्य पदार्थ शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ाने के साथ ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ाते हैं।
वजन नियंत्रित रखें –
अत्यधिक वजन से पेट, ब्रेस्ट व गर्भाशय में कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। दरअसल इन अंगों में फैट बढ़ने से ट्यूमर होता है। साथ ही फैट टिश्यू अत्यधिक मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन पैदा करते हैं जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है। मोटे लोगों का इंसुलिन स्तर बढ़ने से भी ट्यूमर की आशंका बढ़ती है।
वैक्सीनेशन –
वैक्सीनेशन से कई रोगों का बचाव संभव है। हेपेटाइटिस-बी का टीका क्रोनिक लिवर रोग व लिवर कैंसर से बचाने में मददगार है। वैसे ही ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) का इन्फेक्शन सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ाता है। ऐसे में चिकित्सक के परामर्श से इसका वैक्सीनेशन कराया जा सकता है।
त्वचा कैंसर से बचाव –
अत्यधिक सन एक्सपोजर से इसकी आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में यूवी किरणों से बचने के लिए ऐसे कपड़े पहनें जिनसे ज्यादा से ज्यादा शरीर कवर रहे व सनग्लास का उपयोग करें।