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एक्सपर्ट के अनुसार, 21 किलोमीटर से 42 किलोमीटर तक की रनिंग फायदेमंद है। रनिंग फिटनेस को मैंटेन रखने के शानदार टूल है लेकिन रनिंग से न्यूकमर और लोगों में इंज्यूरी को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। एक्सपर्ट के अनुसार इस विषय को लेकर 25 से ज्यादा रिसर्च हुई है। जिसके अनुसार आमतौर पर रनिंग करने से हिप्स और घुटनों में सूजन नहीं होती है। रनिंग से तो घुटनों और हिप्स के डैमेज होने से रक्षा होती है। इसलिए जो लोग नियमित रूप से रनिंग करते हैं उनमें न्यूकमर की तुलना में ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा बहुत कम होता है।
अगर सप्ताह में 21 किलोमीटर से 42 किलोमीटर तक दौड़ लगाया जाए तो इससे हिप्स और घुटनों में ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा नहीं होता है। लेकिन इससे ज्यादा यानी अगर सप्ताह 92 किलोमीटर तक रनिंग करते हैं तो थोड़ा बहुत खतरा हो सकता है।
जर्नल ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड स्पोट् र्स फिजिकल थेरेपी के अध्ययन के अनुसार यदि कम समय के लिए मॉडरेट रनिंग करते हैं यानी सप्ताह में 20-25 किलोमीटर तक दौड़ लगाते हैं तो इससे कूल्हे और जोड़ों में कार्टिलेज और मजबूत होता है। इससे कोई खास खतरा नहीं है लेकिन इससे ज्यादा की रनिंग या बहुत दिनों तक रनिंग इंज्यूरी के जोखिम को बढ़ा सकती है। एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग मनोरंजन के तौर पर रनिंग करते हैं, उनमें हिप्स और घुटनों में ऑस्टियोआर्थराइटिस का जोखिम 3.5 प्रतिशत होता है जबकि जो लोग ज्यादा दौड़ते हैं उनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस का जोखिम 13.3 प्रतिशत और न्यूकमर रनर्स में इसका खतरा 10.2 प्रतिशत तक रहता है।
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एक्सपर्ट के अनुसार रनिंग आमतौर पर ओवरऑल हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद है लेकिन इसमें इंज्यूरी का खतरा भी रहता है। इसलिए रनिंग का अभ्यास जरूरी है। पहले धीरे-धीरे इसकी शुरुआत करनी चाहिए और बहुत ज्यादा रनिंग नहीं करनी चाहिए।