अचानक से घुटनों में दर्द शुरू होना, सीढ़ी चढ़ते, बैठते, सोते समय दर्द, घुटनों में अकडऩ, घूमने में तकलीफ, घुटनों से कट-कट की आवाज, घुटनों के पास की मांसपेशियों की कमजोरी, जोड़ों में दर्द, जोड़ों में अकडऩ, दर्द वाले हिस्से पर लालीपन, अंगूठे में सूजन आदि। अगर सुबह उठने के बाद जोड़ों में अकडऩ 30 मिनट से अधिक समय तक है तो इसकी आशंका ज्यादा है। तत्काल अपने डॉक्टर को दिखाएं।
आर्थराइटिस के करीब दो सौ से अधिक प्रकार है। इनमें मुख्य रूप से दो हैं। पहला, इसमें सूजन की समस्या होती है और दूसरी में सूजन की समस्या नहीं होती है। इन्हें ऑस्टियो आर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस कहते हैं।
खून में यूरिक एसिड व साइनोवियल फ्लूड की जांच करते हैं। जो जोड़ों के बीच पाया जाता है। जरूरी होने पर डॉक्टर अन्य जांचें भी करवाते हैं। यह ऑटोइम्यून बीमारी है, जिससे इसमें लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है और इसकी दवाइयां लंबे समय तक चलती हैं।
आर्थराइटिस में मोटापा एक अहम कारण हो सकता है। इसलिए कम उम्र से ही अपना वजन नियंत्रित रखना जरूरी है।
गठिया रोकने के लिए नियमित व्यायाम भी जरूरी है। इससे न केवल वजन नियंत्रित रहता है, बल्कि जोड़ों की समस्या भी नहीं होती है।
इससे बचाव के लिए डाइट में फास्ट व जंक फूड से भी दूरी बनाने की जरूरत है। कोशिश करें कि घर का खाना खाएं।
ट्रीटमेंट के लिए अनुभवी डॉक्टर की ही सलाह लें। डॉक्टर की सलाह से फिजियोथैरेपिस्ट से भी मदद ले सकते हैं। वे एक्सरसाइज का एक बेहतर प्लान बना सकते हैं, साथ ही दर्द कम करने के कई नुस्खे भी सिखा सकते हैं।
आर्थराइटिस को लेकर कई मिथक भी हैं। इसलिए बीमारी होने पर गलत बातों पर ध्यान न दें, बल्कि डॉक्टर को दिखाकर इलाज लें।