एंडोमेट्रियम (गर्भाशय की आंतरिक सतह) में हर महीने कई तरह के बदलाव आते हैं व माहवारी के रूप में इसका कुछ भाग रक्तस्राव के साथ निकल जाता है। एंडोमेट्रियम जैसी सतह जब गर्भाशय के अलावा अन्य अंगों (ओवरी, फैलोपियन ट्यूब, आंतों आदि) में विकसित हो जाती है, तो यह अवस्था एंडोमेट्रीओसिस कहलाती है। चूंकि एंडोमेट्रियम की प्रवृत्ति संकुचन की होती है इसीलिए इन अंगों में भी बेवजह ऐसा होने लगता है, जिसके कारण दर्द की समस्या होती है।
माहवारी के समय पेट के निचले भाग व कमर में तेज दर्द होना इसका मुख्य लक्षण है। कई बार महिलाओं को असहनीय दर्द की वजह से दर्द निवारक दवाएं भी लेनी पड़ जाती हैं। ओवरी इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। कई बार रक्त इकट्ठा होने से यह बड़ी होकर गांठ के रूप में बन जाती है, जिसे चॉकलेट सिस्ट कहते हैं। कुछ महिलाओं में सिस्ट (रसौली) से फैलोपियन ट्यूब, आंतें व मूत्राशय भी चिपक जाते हैं। ऐसे में गांठ आकार में बहुत बड़ा रूप ले लेती है और तमाम परेशानियों का कारण बन जाती है। फैलोपियन ट्यूब अवरुद्ध होने से नि:संतानता की समस्या सामने आती है।
शुरुआत में दर्द निवारक दवाएं कुछ मदद कर सकती हैं लेकिन दर्द तेज या असहनीय होने पर कई प्रकार के हार्मोन दिए जाते हैं जो टेबलेट या इंजेक्शन के रूप में हो सकते हैं। इन हार्मोन के प्रभाव से कुछ महीनों के लिए माहवारी कृत्रिम रूप से बंद हो जाती है। माहवारी न होने से न तो एंडोमेट्रियम का संकुचन होता है और ना ही दर्द। ऐसे में गांठ के आकार का पता सोनोग्राफी से लगाया जाता है व दूरबीन से इसे सीधा देखा जा सकता है। गांठ बनने की स्थिति में सर्जरी की जाती है जिसे लैप्रोस्कोपिक तकनीक से भी किया जा सकता है।
माहवारी के दौरान थोड़ा दर्द होने को महिलाएं सामान्य रूप से लेती हैं। लेकिन जब यह असहनीय होने लगे तो अनदेखी न करें और तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क कर उचित इलाज लें।