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जानिए दांतों से जुड़ी कॉर्टिकल इम्प्लांट तकनीक के बारे में

इसमें इम्प्लांट को हड्डी के कठोर हिस्से पर या जबड़े में लगाया जाता है और इसके ऊपर नए दांत को लगा देते हैं। इसके जरिए 72 घंटों में नए दांत अपनी जगह फिक्स हो जाते हैं।

Aug 30, 2019 / 03:08 pm

विकास गुप्ता

जानिए दांतों से जुड़ी कॉर्टिकल इम्प्लांट तकनीक के बारे में

इसमें इम्प्लांट को हड्डी के कठोर हिस्से पर या जबड़े में लगाया जाता है और इसके ऊपर नए दांत को लगा देते हैं। इसके जरिए 72 घंटों में नए दांत अपनी जगह फिक्स हो जाते हैं।

नए दांत लगाने में कॉर्टिकल इम्प्लांट तकनीक क्या है ?

दांत लगाने की पारंपरिक तकनीक कन्वेंशनल इम्प्लांट में जबड़े के कम कठोर भाग में नए दांत लगाते हैं। इसके बाद इम्प्लांट व हड्डी के जुडऩे का काफी इंतजार करना पड़ता है। लेकिन इन दिनों नए दांत लगाने में नई तकनीक कॉर्टिकल इम्प्लांट्स की मदद ली जाती है। यह तकनीक ऑर्थोपेडिक कॉन्सेप्ट पर काम करती है। इसमें इम्प्लांट को हड्डी के कठोर हिस्से पर या जबड़े में लगाया जाता है और इसके ऊपर नए दांत को लगा देते हैं। इसके जरिए 72 घंटों में नए दांत अपनी जगह फिक्स हो जाते हैं।

यह तकनीक किस तरह फायदेमंद है ?
चीरा रहित तकनीक होने के कारण इससे कम खून निकलता है और सूजन भी कम होती है। साथ ही पायरिया की समस्या में प्रभावित दांत को निकालकर इस तकनीक से नए दांत लगा सकते हैं। रोग से राहत मिलती है। इसमें तीन दिन का समय लगता है।

क्या हटाने-लगाने वाली बत्तीसी की जगह इस तकनीक से स्थायी दांत लगवा सकते हैं?
हां, कॉर्टिकल इम्प्लांट के जरिए स्थायी दांत लगवाए जा सकते हैं क्योंकि ये जबड़े की कठोर हड्डी में लगाए जाते हैं।

जबड़े के कैंसर में जहां हड्डी को हटा दिया जाता है, क्या ऐसे मरीजों को भी फिक्स दांत लगाए जा सकते हैं?
कैंसर के मरीजों में कैंसर प्रभावित जबड़े की हड्डी को हटा दिया जाता है। लेकिन आसपास की कठोर हड्डी में लंबे कॉर्टिकल इम्प्लांट लगाकर फिक्स दांत लगाए जा सकते हैं। मरीज उन दांतों से आसानी से खाना खा सकता है।

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