यह समस्या वयस्कों को ही नहीं बल्कि युवा और प्रौढ़ आबादी में भी लगातार बढ़ती जा रही है। कब्ज की प्रमुख वजह खान-पान में गड़बड़ी और खराब लाइफस्टाइल है। दरअसल हम क्या खा रहे हैं इसका सीधा असर हमारी पाचन क्रिया पर पड़ता है। अगर हम हैल्दी चीजें खाते हैं तो हमारी पाचन क्रिया भी ठीक रहती है, नहीं तो कब्ज जैसी समस्या हमारे सामने खड़ी हो जाती है।
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इसलिए होती है यह बीमारीकब्ज की समस्या में बहुत कड़ा मल या मल त्यागने में कठिनाई जैसी समस्या आने लगती है। इसकी मुख्य वजह अत्यधिक मात्रा में पानी नहीं पीना, फाइबर की पर्याप्त मात्रा न लेना, एक्टिव लाइफस्टाइल न होना आदि। दरअसल भोजन में फाइबर या पानी की कमी होने से आंतों में भोजन धीरे-धीरे खिसकता है और बड़ी आंत उसमें से पानी सोखती रहती है जिससे मल धीरे-धीरे कड़ा हो जाता है और मल त्यागने में परेशानी आती है। इसके अलावा मल त्यागने की प्रक्रिया को रोके रहना यानी जब मल त्यागना हो तब शोचालय नहीं जाना भी कब्ज की समस्या को बढ़ाता है।
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ये होती हैं परेशानियांपेेट में ऐंठन होना, पेट फूलना या जी मिचलाना।
मल त्यागने में अत्यधिक जोर लगाना।
हमेशा मल त्यागने जैसी स्थिति महसूस करना लेकिन मल नहीं त्याग पाना।
पेट पूरी तरह से खाली न होने का अहसास होते रहना।
खाना नहीं खाने पर भी भरा पेट लगना।
यह भी हैं कब्ज के अहम कारण डायबिटीज
डायबिटीज की वजह से नव्र्स डैमेज हो सकती हैं जो व्यक्ति की पाचन शक्ति को कमजोर करती हैं। इसके अलावा कई न्यूरोलॉजिकल स्थिति जैसे पार्किन्संस भी कब्ज का कारण हो सकती है।
डायबिटीज की वजह से नव्र्स डैमेज हो सकती हैं जो व्यक्ति की पाचन शक्ति को कमजोर करती हैं। इसके अलावा कई न्यूरोलॉजिकल स्थिति जैसे पार्किन्संस भी कब्ज का कारण हो सकती है।
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डिप्रेशनडिप्रेशन की वजह से शरीर की सामान्य प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिसका असर पाचन क्रिया पर पड़ता है। इसी तरह ब्लड प्रेशर भी कब्ज होने की एक वजह है। लो ब्लड प्रेशर होने पर डाययूरेटिक्स की वजह से यूरीन त्याग करने की मात्रा बढ़ जाती है जो हमारे सिस्टम से पानी की मात्रा को बाहर कर देते हैं। पानी की कमी से कब्ज की समस्या सामने खड़ी हो जाती है।
पानी की मात्रा बढ़ाएं
अत्यधिक मात्रा में पानी व अन्य तरल पदार्थों का सेवन करने से मल त्यागने में परेशानी नहीं आती है। दरअसल तरल पदार्थ की पर्याप्त मात्रा होने से मल कड़ा नहीं होता है, जिसे त्यागने में जोर नहीं लगाना पड़ता है। जूस, हर्बल टी, दूध आदि का सेवन करना चाहिए।
अत्यधिक मात्रा में पानी व अन्य तरल पदार्थों का सेवन करने से मल त्यागने में परेशानी नहीं आती है। दरअसल तरल पदार्थ की पर्याप्त मात्रा होने से मल कड़ा नहीं होता है, जिसे त्यागने में जोर नहीं लगाना पड़ता है। जूस, हर्बल टी, दूध आदि का सेवन करना चाहिए।
ज्यादा से ज्यादा फाइबर
सेब, ब्रोकली, राजमा, गाजर, अंकुरित दालें व अनाज, अंगूर आदि जिनमें अत्यधिक मात्रा में फाइबर होता है, का सेवन करना चाहिए। इससे पेट तो साफ रहता ही है, साथ ही अत्यधिक फाइबर के सेवन से दिल की बीमारी, स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों की आशंका भी कम रहती है।
सेब, ब्रोकली, राजमा, गाजर, अंकुरित दालें व अनाज, अंगूर आदि जिनमें अत्यधिक मात्रा में फाइबर होता है, का सेवन करना चाहिए। इससे पेट तो साफ रहता ही है, साथ ही अत्यधिक फाइबर के सेवन से दिल की बीमारी, स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों की आशंका भी कम रहती है।