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संभावित लक्षण
कुछ महिलाओं में 40 साल की उम्र में भी मेनोपॉज जैसे लक्षण आते हैं, इसे प्रीमेच्योर मेनोपॉज कहते हैं। जब मेनोपॉज शुरू होता है तो इसमें हॉट फ्लैशेज की समस्या अधिक होती है। पसीना बहुत आता, शारीरिक ऊर्जा में कमी होती है, भावनात्मक रूप से नकारात्मकता आती है, इसके अलावा कई तरह की समस्याए आती है जैसे कि रात में पसीना ज्यादा आना, मूड का बदलाव, वजन बढऩा, रूखी त्वचा, बालों का अधिक गिरना, हार्ट बीट का बढऩा और सिरदर्द आदि।
कब डॉक्टर को दिखाएं : कई बार स्थिति गंभीर होने के बाद कोलोनोस्कोपी, मैमोग्राफी और ट्राइग्लिसराइड स्क्रीनिंग, थायरॉइड टेस्ट कराने की सलाह डॉक्टर दे सकता है।
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मेनोपॉज के स्टेज : इसके मुख्य रूप से तीन चरण होते हैं। प्रीमेनोपॉज, मेनोपॉज और पोस्टमेनोपॉज। प्रीमेनोपॉज में पीरियड्स पूरी तरह बंद नहीं होते हैं। हॉट फ्लैशेज के लक्षण आते हैं लेकिन गर्भ धारण की संभावना रहती है, वहीं पोस्टमेनोपॉज में एक वर्ष से अधिक समय तक पीरियड्स न आया हो और उसके बाद वेजाइनल ब्लीडिंग हो तो ये नॉर्मल नहीं होता है। ऐसे में बिना देर किए डॉक्टर से मिलें।
इलाज : सामान्य और हल्के लक्षण हैं तो सही डाइट, दिनचर्या से आराम आता है लेकिन समस्या गंभीर होने पर गोलियां, हार्मोन की दवाइयां और कुछ थैरेपी की भी जरूरत पड़ती है। लेकिन मन को शांत रखते हैं और पैनिक होने से बचें तो भी आराम मिलता है।
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मेनोपॉज के लक्षणों को कैसे कम करें
इसमें हैल्दी डाइट, नियमित व्यायाम-योग-ध्यान ज्यादा कारगर हैं। इसके साथ ही ज्यादा चाय-कॉफी लेने से बचें। कोई नशा न करें। अगर रात में ज्यादा पसीना आता है तो नहाकर सोएं। कमरे को ठंडा रखें। वजन नियंत्रित रखें। अच्छी नींद लेने से भी मूड अच्छा रहेगा। आप घर के सदस्यों, दोस्तों और अपनों से अपनी समस्या का जिक्र करें ताकि वे आपकी मदद कर सके। डाइट में कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन डी वाली चीजें लें। सोया, अलसी, मगज के बीज आदि ज्यादा लें। नियमित 30 मिनट ध्यान करती हैं तो भी आराम आता है। ज्यादा परेशानी है तो डॉक्टर को दिखाएं।