कारण
अस्थमा एक तरह से एलर्जी का ही रूप है। इसमें एलर्जी के कारणों के संपर्क में आने से अस्थमा अटैक आता है। इसके कई कारण हैं- इंडोर एलर्जन्स (घर में मौजूद धूल-मिट्टी के बारीक कण, पालतू के बाल, किटाणू) के अलावा घर के बाहर पोलन्स, हवा में मौजूद सूक्ष्म कण, धूम्रपान, तंबाकू चबाना, कैमिकल के संपर्क में आना शामिल हैं।
करें विशेषज्ञ से संपर्क
वैसे तो नियमित रूप से दवाएं लेने और सावधानियों को बरतकर इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन कई बार अचानक ही मरीज को अस्थमा अटैक आ सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी होता है।
प्रमुख जांचें हैं जरूरी
अस्थमा के लक्षणों और मरीज की हालत देखकर रोग की पुष्टि करने के लिए विशेषज्ञ कई तरह की जांचें प्रमुख रूप से करते हैं। जानते हैं इनके बारे में-
स्पाइरोमेट्री : यह एक सामान्य टैस्ट है, जिससे सांस लेने की गति की पहचान की जाती है।
चेस्ट एक्सरे : संक्रमित फेफड़ों की स्थिति का पता लगाने के लिए चेस्ट एक्सरे करना जरूरी होता है। इसमें फेफड़ों में अस्थमा ही नहीं बल्कि अन्य समस्याओं का भी पता करते हैं।
पीक फ्लो : यह विशेष प्रकार का टैस्ट होता है। इसमें यह पता लगाते हैं कि मरीज अपने फेफड़ों से सांस को सामान्य तरीके से ले पा रहा है और छोड़ पा रहा है या नहीं। इस परीक्षण के दौरान मरीज को तेजी से सांस लेने की सलाह देते हैं।
शारीरिक परीक्षण : मरीज के स्वास्थ को गंभीरता से देखते हैं। खासतौर पर मरीज के सीने पर घरघराहट की आवाज को महसूस करते हैं। अस्थमा की गंभीरता का पता चलता है।
एलर्जी टैस्ट : अस्थमा के मरीजों में सबसे पहले एलर्जी टैस्ट किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के एलर्जन्स के सहारे मरीज में अस्थमा के कारक यानी एलर्जन की पहचान की जाती है।
अस्थमा एक तरह से एलर्जी का ही रूप है। इसमें एलर्जी के कारणों के संपर्क में आने से अस्थमा अटैक आता है। इसके कई कारण हैं- इंडोर एलर्जन्स (घर में मौजूद धूल-मिट्टी के बारीक कण, पालतू के बाल, किटाणू) के अलावा घर के बाहर पोलन्स, हवा में मौजूद सूक्ष्म कण, धूम्रपान, तंबाकू चबाना, कैमिकल के संपर्क में आना शामिल हैं।
करें विशेषज्ञ से संपर्क
वैसे तो नियमित रूप से दवाएं लेने और सावधानियों को बरतकर इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन कई बार अचानक ही मरीज को अस्थमा अटैक आ सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी होता है।
प्रमुख जांचें हैं जरूरी
अस्थमा के लक्षणों और मरीज की हालत देखकर रोग की पुष्टि करने के लिए विशेषज्ञ कई तरह की जांचें प्रमुख रूप से करते हैं। जानते हैं इनके बारे में-
स्पाइरोमेट्री : यह एक सामान्य टैस्ट है, जिससे सांस लेने की गति की पहचान की जाती है।
चेस्ट एक्सरे : संक्रमित फेफड़ों की स्थिति का पता लगाने के लिए चेस्ट एक्सरे करना जरूरी होता है। इसमें फेफड़ों में अस्थमा ही नहीं बल्कि अन्य समस्याओं का भी पता करते हैं।
पीक फ्लो : यह विशेष प्रकार का टैस्ट होता है। इसमें यह पता लगाते हैं कि मरीज अपने फेफड़ों से सांस को सामान्य तरीके से ले पा रहा है और छोड़ पा रहा है या नहीं। इस परीक्षण के दौरान मरीज को तेजी से सांस लेने की सलाह देते हैं।
शारीरिक परीक्षण : मरीज के स्वास्थ को गंभीरता से देखते हैं। खासतौर पर मरीज के सीने पर घरघराहट की आवाज को महसूस करते हैं। अस्थमा की गंभीरता का पता चलता है।
एलर्जी टैस्ट : अस्थमा के मरीजों में सबसे पहले एलर्जी टैस्ट किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के एलर्जन्स के सहारे मरीज में अस्थमा के कारक यानी एलर्जन की पहचान की जाती है।