ऐसे होता रोग का इलाज
विटिलिगो रोग का शुरुआती अवस्था में उपचार संभव है। रोगी के लक्षण, रोगी की प्रकृति तथा उसकी मानसिक अवस्था का आकलन कर दवा दी जाती है। इस रोग में कम से कम 6 माह से 1 साल तक उपचार कराना जरूरी होता है। किसी के होंठ/नाक अथवा जननांगों में सफेद दाग है तो कुछ होम्योपैथिक दवाएं हैं जिनको सप्ताह में एक बार लंबे समय तक लेने से लाभ मिलता है। इस दौरान रोगी को कुछ परहेज भी करने पड़ते हैं जिससे बीमारी में राहत मिल सकती है। दवा के साथ रोगी को अपनी दिनचर्या को भी ठीक रखने के लिए कहा जाता है। इसके साथ रोगी की मानसिक स्थिति के लिए काउंसिलिंग भी करते हैं जिससे वह किसी अवसाद या तनाव में न जाए और बड़ी परेशानी से बच सके।
जांच
इस रोग को आसानी से पहचाना जाता है। अन्य रोगों से अंतर स्पष्ट करने के लिए वुड लैम्प टैस्ट, स्किन टैस्ट और बायोप्सी टैस्ट करते हैं।
बीमारी के लक्षण
शरीर पर छोटे-छोटे सफेद दाग/धब्बे दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को खुजली होती है। धीरे-धीरे ये सफेद दाग आपस में मिलकर बड़ा धब्बा बना लेते हैं। कुछ रोगियों में धब्बों के बढऩे की गति धीमी होती है और कुछ में तेज होती है। इसके अतिरिक्त कोई विशेष लक्षण रोगी में नहीं दिखते।
सावधानी भी जरूरी
जीवनशैली को आरामतलब नहीं बनाकर काम में व्यस्त रहना चाहिए। खाने-पीने में अधिक चटपटा, खटाई कम लें। बच्चों के चेहरे पर हल्के भूरे दाग हो जाते हैं।
चोट लगने, जलने अथवा शरीर पर हल्के भूरे रंग के धब्बे होने पर जल्द से जल्द इलाज कराना चाहिए।
रोग के प्रकार
फोकल विटिलिगो में छोटे-छोटे धब्बे शरीर के किसी विशेष भाग में होते हैं। म्यूकोजल विटिलिगो में सफेद दाग, होंठ, पलकों, जननांग, गुदा में होते हैं। एक्रोफेसियल विटिलिगो में दाग चेहरे, सिर और हाथ पर दिखते हैं।
डॉ. दिनेश कुमार नागर, होम्योपैथी विशेषज्ञ
विटिलिगो रोग का शुरुआती अवस्था में उपचार संभव है। रोगी के लक्षण, रोगी की प्रकृति तथा उसकी मानसिक अवस्था का आकलन कर दवा दी जाती है। इस रोग में कम से कम 6 माह से 1 साल तक उपचार कराना जरूरी होता है। किसी के होंठ/नाक अथवा जननांगों में सफेद दाग है तो कुछ होम्योपैथिक दवाएं हैं जिनको सप्ताह में एक बार लंबे समय तक लेने से लाभ मिलता है। इस दौरान रोगी को कुछ परहेज भी करने पड़ते हैं जिससे बीमारी में राहत मिल सकती है। दवा के साथ रोगी को अपनी दिनचर्या को भी ठीक रखने के लिए कहा जाता है। इसके साथ रोगी की मानसिक स्थिति के लिए काउंसिलिंग भी करते हैं जिससे वह किसी अवसाद या तनाव में न जाए और बड़ी परेशानी से बच सके।
जांच
इस रोग को आसानी से पहचाना जाता है। अन्य रोगों से अंतर स्पष्ट करने के लिए वुड लैम्प टैस्ट, स्किन टैस्ट और बायोप्सी टैस्ट करते हैं।
बीमारी के लक्षण
शरीर पर छोटे-छोटे सफेद दाग/धब्बे दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को खुजली होती है। धीरे-धीरे ये सफेद दाग आपस में मिलकर बड़ा धब्बा बना लेते हैं। कुछ रोगियों में धब्बों के बढऩे की गति धीमी होती है और कुछ में तेज होती है। इसके अतिरिक्त कोई विशेष लक्षण रोगी में नहीं दिखते।
सावधानी भी जरूरी
जीवनशैली को आरामतलब नहीं बनाकर काम में व्यस्त रहना चाहिए। खाने-पीने में अधिक चटपटा, खटाई कम लें। बच्चों के चेहरे पर हल्के भूरे दाग हो जाते हैं।
चोट लगने, जलने अथवा शरीर पर हल्के भूरे रंग के धब्बे होने पर जल्द से जल्द इलाज कराना चाहिए।
रोग के प्रकार
फोकल विटिलिगो में छोटे-छोटे धब्बे शरीर के किसी विशेष भाग में होते हैं। म्यूकोजल विटिलिगो में सफेद दाग, होंठ, पलकों, जननांग, गुदा में होते हैं। एक्रोफेसियल विटिलिगो में दाग चेहरे, सिर और हाथ पर दिखते हैं।
डॉ. दिनेश कुमार नागर, होम्योपैथी विशेषज्ञ