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इन्हें रोग का खतरा – शराब पीने और धूम्रपान करने वालों को इस रोग की आशंका अधिक होती है। टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित मरीज, जिनके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो, 50वर्ष से अधिक उम्र के लोग और ज्यादा मात्रा में तलाभुना खाने वालों में इसका खतरा रहता है।
लिवर में फैट बढ़ने से अंग का आकार बढ़ जाता है। इस कारण एंजाइम्स की मात्रा बढ़ने से लिवर की क्षमता प्रभावित होती है। आमतौर पर फैटी लिवर के कोई खास लक्षण नहीं। लेकिन जब 30-40 फीसदी फैट लिवर में जमा हो जाए तो भूख न लगना, जी-घबराना, वजन घटना, पेट के ऊपरी भाग में दर्द होता है। गंभीर मामलों में व्यक्ति में पीलिया, लिवर में सिकुड़ने व लिवर सिरोसिस की आशंका बढ़ती है। ज्यादा फैट जमा होने पर पेट में पानी भरने के साथ शरीर में सूजन आती है जिसका असर दिमाग पर होता है। गंभीर स्थिति लिवर फेल्योर की होती है। जिसमें लिवर ट्रांसप्लांट करते हैं।
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कारण : जिनका वजन अधिक है उनकी परेशानी बढ़ सकती है। शराब पीने वाले या जिनकी कैंसर की दवा लंबे समय से चल रही है उन्हें मेटाबॉलिक सिंड्रोम की शिकायत हो सकती है। इस कारण शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है जिससे मधुमेह, हृदय रोग व ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं।लिवर को फिट रखने के लिए सुपाच्य भोजन खाएं। तरल पदार्थ जैसे नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी, अनार, सेब समेत अन्य फलों को खाने से पेट ठीक रहता है। चोकर वाली रोटी खाएं। गिलोय, एलोवेरा, कालमेघ, चिरायता, भृंगराज, करेले का जूस, आंवले का पाउडर नियमित लेने से पेट संबंधी कोई समस्या नहीं रहती। गंभीर स्थिति में चूर्ण खिलाकर पेट की सफाई की जाती है।
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Homeopathy medicine for fatty liver होम्योपैथी दवा –
रोगी को लक्षणों के अनुसार फॉस्फोरस, कैलकेरिया दवा देते हैं। जिन्हें फैटी लिवर की समस्या अधिक शराब पीने से हुई है उन्हें नक्सवोमिका दवा दी जाती है। वहीं फैटी लिवर के साथ गैस की दिक्कत हो तो लाइकोपोडियम दवा से आराम पहुंचाते हैं। फैटी लिवर के रोगी को खानपान पर विशेष ध्यान देने के साथ नियमित व्यायाम करने की सलाह दी जाती है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।