रोग और उपचार

लंबे समय तक आए डकार तो हो जाएं सावधान, पेट में हो सकती है ये गंभीर समस्या

Dyspepsia causes symptoms and treatment : जिन्हें गैस की समस्या है वे चावल, चने की दाल, छोलों से परहेज करें, इनसे गैस बनती है। ४० से ५० वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों में अल्सर व गैस्ट्रिक समस्याएं ज्यादा पाई जाती हैं।

Aug 08, 2023 / 06:05 pm

Manoj Kumar

dyspepsia causes symptoms and treatment

dyspepsia causes symptoms and treatment : जिन्हें गैस की समस्या है वे चावल, चने की दाल, छोलों से परहेज करें, इनसे गैस बनती है। ४० से ५० वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों में अल्सर व गैस्ट्रिक समस्याएं ज्यादा पाई जाती हैं।
शरीर में होने वाले किसी भी तरह के दर्द से आराम के लिए अक्सर जो लोग बिना डॉक्टरी सलाह के पेनकिलर लेते हैं उनमें ये दवाएं पेट में जाकर यहां के म्यूकस व लाइनिंग पर असर डालती हैं। जिससे पेट में जलन, भारीपन, गैस, अपच, पेट के ऊपरी भाग में सूजन व दर्द, कुछ भी खाते ही पेट भरने, सीने में जलन जैसी तकलीफें होती हैं। इसे डिसपैप्सिया कहते हैं। आंतों की कार्यशीलता कम होने से ऐसा होता है जिससे भोजन करते ही वह मुंह में आने लगता है। यह स्थिति एसिड रिफ्लक्स की है।

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म्यूकस में खराबी एक वजह –
पेट में अल्सर, लंबे समय से चल रही अपच की दिक्कत से होता है जिसका सही इलाज न हुआ हो। पेट में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया का संक्रमण भी वजह है। इसमें पेट की म्यूकस मेम्ब्रेन में खराबी आने पर घाव हो जाता है। जल्दबाजी, तनाव, दूषित खानपान से पाचनतंत्र की कोशिकाओं को नुकसान होने और पेट में एसिड की मात्रा बढ़ने से अल्सर हो सकता है। संतुलित आहार लें। ओवरईटिंग न करें। ज्यादा देर खाली पेट न रहें।
ऐसे होता इलाज –
एलोपैथी : एंडोस्कोपी जांच (endoscopy examination) कर पेट संबंधी समस्या या अल्सर की स्थिति का पता लगाया जाता है। जल्द राहत के लिए दो-तीन एंटीबायोटिक दवाओं का कॉम्बिनेशन बनाकर एसिडिटी की दवा के साथ देते हैं। खानपान संतुलित रखा जाए तो पाचनतंत्र ठीक रहेगा और इस तरह की परेशानी नहीं होगी। इसमें मिर्च-मसालेदार चीजों से परहेज के अलावा हरी सब्जियां और फल खाएं।

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Ayurveda आयुर्वेद : पेट संबंधी रोगों से राहत पाने के लिए भोजन में हींग का प्रयोग फायदेमंद है। इसके साथ तवे पर सेकी हुई लौंग को खाने से राहत मिलती है। इसके अलावा नारियल पानी, घी, मुलैठी और शहद का इस्तेमाल संतुलित रूप से डॉक्टरी सलाह पर किया जाए तो तकलीफ में आराम मिलता है। इसके अलावा नियमित व्यायाम व योग जरूरी है।
Homeopathy होम्योपैथी : एसिडिटी और अल्सर जैसी पेट संबंधी समस्या में होम्योपैथी में कई तरह की दवाएं हैं जो रोगी को परेशानी और लक्षण के आधार पर दी जाती हैं। इसमें मुख्य रूप से कार्बोवेज, नक्सवोमिका, रोबिनिया-३०, लाइकोपोडियम समेत अन्य कई तरह की दवाएं हैं जिन्हें लेने से आराम मिलता है।

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Avoid fast food, chickpeas and kidney beans – फास्ट फूड, छोले व राजमा से परहेज करें –
पेट और पाचन संबंधी रोगों से बचने के लिए फास्ट फूड से दूरी बनाएं। इनमें मौजूद केमिकल्स और मसाले पेट की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा ऐसे रोगी चावल, चने की दाल, राजमा व छोले खाने से बचें वर्ना गैस बन सकती है।
If you belch for a long time लंबे समय तक आए डकार तो –
जरूरी नहीं कि हर बार डकार आने का मतलब पेट या गैस संबंधी समस्या ही हो। तनाव, अनिद्रा, घबराहट, जल्दबाजी में भोजन करने और चिंता करने जैसी स्थिति में भी डकार आ सकती है। यदि डकार बार-बार या लंबे समय तक आए तो तुरंत डॉक्टरी राय लें। लक्षण के रूप में भूख न लगना, आंतों या पेट से गडग़ड़ाहट की आवाज आना, कब्ज, पेटदर्द, गहरे रंग का स्टूल आना, भूख न लगना और वजन घटना भी प्रमुख है।

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डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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