बच्चों के लिए
दूध न पचने, पेट न भरने, पेट साफ न होने, संक्रमण या कीड़े होने, जंकफूड और तला-भुना भोजन ज्यादा खाने से बच्चों को पेटदर्द की समस्या हो सकती है।
वृद्धों की तकलीफ
बुजुर्गों को कब्ज और यूरिन इंफेक्शन की वजह से पेटदर्द हो सकता है। कई बार ज्यादा तला-भुना खाने से भी तकलीफ हो सकती है।
जब वयस्क हों परेशान
ऐसे लोग जिन्हें बचपन से ही कब्ज की शिकायत रही हो, उन्हें आगे चलकर पेट संबंधी समस्याएं जैसे दर्द, अपच, मरोड़, एसिडिटी की तकलीफ रहने लगती है।
एहतियात जरूरी
यूरिन इंफेक्शन की शिकायत होने पर दिन में 3-4 लीटर पानी पिएं और पेशाब को रोककर न रखें। तनाव कम लें और बच्चों को घर का बना हुआ खाना ही दें। व्रत या उपवास करने पर फलाहार करें, कई बार खाली पेट रहने से भी पेटदर्द हो सकता है।
लक्षणों के अनुसार इलाज
होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ.नमीता राजवंशी के अनुसार, पेट में भारीपन लगने पर पल्सेटिला दवा देते हैं। खट्टी डकारों में लाइकोपोडियम, खाली पेट एसिडिटी बनने पर एनाकार्डियम दवा या खाने के दुष्प्रभाव से दर्द होने पर नक्सवोमिका दी जाती है। पेट में कीड़े होने पर सिना व पथरी के दर्द में लाइकोपोडियम, बरबरिफ वल्गेरिस व सारसापरिला दवाएं दी जाती है। अपेंडिक्स में इच्निशिया, आइरिश टेनक्स देते हैं। इन दवाओं को विशेषज्ञ मरीज के लक्षणों के अनुसार देते हैं इसलिए इनका प्रयोग स्वयं न करें।