रोग और उपचार

किसी भी तरह के बुखार में न बरतें लापरवाही, जान को हो सकता है खतरा

बुखार कैसा भी हो थोड़ी-सी भी लापरवाही तकलीफ बढ़ा सकती है और आपकी जान को खतरा भी हो सकता है।

May 06, 2019 / 05:23 pm

विकास गुप्ता

बुखार कैसा भी हो थोड़ी-सी भी लापरवाही तकलीफ बढ़ा सकती है और आपकी जान को खतरा भी हो सकता है।

बुखार कई रोगों का संकेत या कारण होता है, जैसे वायरल, डेंगू या मलेरिया। लक्षणों के अनुसार बुखार की दस किस्म हैं, जिनका उपचार और समयावधि अलग हैं। बुखार कैसा भी हो थोड़ी-सी भी लापरवाही तकलीफ बढ़ा सकती है और आपकी जान को खतरा भी हो सकता है।

वायरल फीवर –
इस बुखार से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क से या प्रदूषित खाद्य पदार्थ व पानी से वायरल फीवर होता है। यदि लगातार नाक बहे, सिरदर्द या खांसी हो तो डॉक्टर को दिखाएं। वायरल फीवर से बचने का सबसे असरकारक तरीका है हाइजीन का खयाल। इसलिए साफ-सुथरे वातावरण में रहें और ताजा खानपान लें।

डेंगू फीवर-
आंखों या सिर में दर्द या स्किन रैशेज के साथ अचानक तेज बुखार डेंगू फीवर के लक्षण हो सकते हैं। ऐसा बुखार 24 घंटे से ज्यादा रहे तो डॉक्टर से परामर्श लें और उनके बताए अनुसार जांचें करवाएं।

मलेरिया
सर्दी लगकर बुखार आना मलेरिया के लक्षण हो सकता है। इसमें पसीना भी बहुत आता है। मलेरिया की पुष्टि होने पर दवा का पूरा कोर्स लें। घर में या आसपास पानी जमा न होने दें।

लो व हाई ग्रेड फीवर –
नाम से ही स्पष्ट है कि कम तापमान यानी लो ग्रेड व 103 डिग्री फारेनहाइट या इससे ज्यादा यानी हाई ग्रेड फीवर। लो ग्रेड फीवर एक दिन से ज्यादा समय तक बना रहे तो विशेषज्ञ से परामर्श लें।

स्वाइन फ्लू –
मौसमी फ्लू के रोगी इसके जल्द शिकार होते हैं। रोगी के संपर्क या सांस के जरिए स्वाइन फ्लू तेजी से फैलता है। इसलिए एहतियान संक्रमित व्यक्तिसे दूरी बनाएं।

सीजनल फ्लू –
मौसम व तापमान बदलने से बुखार आता है। सामान्यत: दो दिन सीजनल फ्लू परेशान करता है लेकिन लापरवाही तकलीफ बढ़ा सकती है। इसलिए डॉक्टर को दिखाएं।

फ्लू –
कंपकपी, नाक बहना, सिरदर्द फ्लू के प्रारंभिक लक्षण हैं। इसे लो ग्रेड फीवर माना जाता है। इसके लिए डॉक्टरी सलाह से दवा लें। खांसते या छींकते समय मुंह पर कपड़ा रखें।

इंफेक्शन –
खराब जीवनशैली व गंदगी की वजह से कीटाणुओं के संपर्क में आने पर संक्रमण होता है। पेट या गले में इंफेक्शन से भी बुखार आता है इसलिए साफ-सफाई का ध्यान रखें।

टायफॉइड
सालमोनेला टाइफी बैक्टीरिया इसका कारण है। प्रदूषित खाद्य पदार्थ या पानी से टायफॉइड होता है। टायफॉइड होने पर शरीर का तापमान 104 फारेनहाइट तक पहुंच जाता है। पेट में दर्द होता है व डायरिया हो जाता है। ऐसे में दवाओं के साथ-साथ शरीर को आराम दें और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।

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