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आपको बता दें कि इस तरह लोगों के मरने का सिलसिला कई दिन तक चलता रहा। इसके बावजूद इस बीमारी के फैलने का कारण आज तक पता नहीं लग सका है। लेकिन जब भी इस बीमारी का जिक्र होता है तो इसे फ्रांस में हुई एक घटना से जोड़कर देखा जाता है। तो आइए जानते हैं आखिर क्यों कैसे हुई थी ये बीमारी। यह मामला तब का है जब 14 जुलाई 1518 को फ्रांस के स्टार्सबर्ग में रहने वाली फ्राउ ट्रॉफिया नामक एक महिला अचानक अपने घर से बाहर निकलकर नाचने लगी। जब ये महिला नाच रही थी तो न तो वहां कोई गाना बज रहा था और न ही कोई गाना गा रहा था। यह महिला बस अपनी ही धुन में नाचे जा रही थी। वो बस बेसुध होकर नाच रही थी। तब फ्राउ की इस हरकत को देखकर कई लोग घरों से बाहर निकल आए। वे हैरान होकर उसका डांस देख रहे थे। उन्हें लगा कि फ्राउ शायद नशे में है, इसलिए नाच रही है। तो वहीं, कुछ लोग उसे पागल समझ रहे थे।
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इस महिला को नाचता देख कोई भी उसके पीछे का कारण नहीं समझ सका। फ्राउ सुबह से नाच रही थी। नाचते-नाचते शाम हो गई लेकिन उसना नाचना बंद नहीं हुआ। उसके शरीर के काफी अंग फूल गए थे। लेकिन बावजूद इसके वो नाच रही थी। तभी अचानक वो बेहोश होकर नीचे गिर गई। पति उसे उठाकर घर ले गया। इतना ही नहीं बल्कि अगले दिन सुबह उठते ही उसने फिर से नाचना शुरू कर दिया। ना कुछ खाया और ना ही पिया। बस नाचती ही गई। इस तरह नाचते-नाचते उसे दो-तीन दिन बीत गए। अब उसके पति को उसकी चिंता होने लगी। तो उसे इलाज के लिए वह डॉक्टर के पास ले जाया गया। उधर फ्राउ की ही तरह 34 लोग भी इसी तरह अचानक से नाचने लगे थे। जब इस बात का पता शहर में चला तो इस बीमारी को ‘डांसिंग प्लेग’ का नाम दिया गया। इसको लेकर डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि लोगों को ऐसे ही नाचने दिया जाए। जब उनका बॉडी टेंपरेचर कम हो जाएगा तो वे नाचना बंद कर देंगे। इस तरह के मरीजों के लिए एक अलग तरह की व्यवस्था भी की गई। एक खाली जगह को डांस फ्लोर में तब्दील कर दिया गया। कुछ डांसर्स को वहां रखा गया जो इनके साथ डांस करें। लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। क्योंकि मरने वालों की संख्या और ज्यादा बढ़ने लगी।
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आपको बता दें कि यह अनोखी बीमारी 2 महीनों तक चली और 400 लोगों को इसमें अपनी जान गंवानी पड़ी। लेकिन तब से लेकर आज तक कई वैज्ञानिकों ने इस पर अपनी थियोरी दी हैं। वैज्ञानिकों का मानना था कि लोगों के अंदर ये बीमारी Ergot Fungi Toxic और Carcinogenic Reaction के कारण हुई थी। यानि ये बीमारी फूड पॉइजनिंग के कारण हुई। दरअसल, Ergot Fungi गेहूं और मक्की जैसे अनाज की फसलों में होता है। बताया गया कि इस तरह के फंगस दीमाग में जाकर ड्रग्स की तरह असर करते हैं। जिससे लोगों के अंदर हेलूसिनेशन जैसी स्थिति बन जाती है। वो खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाते। ऐसे में मरीज की बॉडी भी रिएक्ट करती है। हालांकि, इस थियोरी को फेमस लेखक जॉन वॉलर (John Waller) ने पूरी तरह गलत बताया। उनका कहना था कि जिस इलाके में यह सब शुरू हुआ था वहां के लोग बहुत ज्यादा अंधविश्वासी थे।
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