कोलोरेक्टल कैंसर को आम भाषा में बड़ी आंत का कैंसर भी कहते है। यह कैंसर पुरुषों में तीसरा और महिलाओं में दूसरा आम कैंसर है। इस बीमारी के लक्षणों की समय पर पहचान करना बहुत जरूरी है। 30 साल की उम्र के बाद पांच साल में एक बार कोलनोस्कोपी कराकर इसके खतरों से बचा जा सकता है। यह कैंसर की वजह से हमारी शरीर में पनपता है।
खराब जीवनशैली से बढ़ता खतरा
कोलन और रेक्टम पाचनतंत्र के अंग हैं। ये शरीर के मल-मूत्र को हटाने में मदद करते हैं। कोलोरेक्टल कैंसर का कारण आनुवांशिकता, जंकफूड व रेड मीट का ज्यादा खाना, फाइबर कम लेना, मोटापा, धूम्रपान, शराब और इंफ्लेमेट्री बाउल सिंड्रोम है। देर रात तक काम करना, डायबिटीज और शारीरिक गतिविधियां न करने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ता है।
खराब जीवनशैली से बढ़ता खतरा
कोलन और रेक्टम पाचनतंत्र के अंग हैं। ये शरीर के मल-मूत्र को हटाने में मदद करते हैं। कोलोरेक्टल कैंसर का कारण आनुवांशिकता, जंकफूड व रेड मीट का ज्यादा खाना, फाइबर कम लेना, मोटापा, धूम्रपान, शराब और इंफ्लेमेट्री बाउल सिंड्रोम है। देर रात तक काम करना, डायबिटीज और शारीरिक गतिविधियां न करने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ता है।
कोलोरेक्टल सर्जरी
इलाज के तौर पर सर्जरी कर बड़ी आंत से प्रभावित हिस्से को हटाया जाता है। पहले यह प्रक्रिया जटिल मानी जाती थी लेकिन लेप्रोस्कोपिक कोलोरेक्टल सर्जरी ओपन सर्जरी के मुकाबले फायदेमंद है। कोलनोस्कोपी कराएं
इसमें पतली ट्यूब (कोलनोस्कोप ) से बड़ी आंत की अंदरूनी सतह का परीक्षण करते है। इससे अल्सर, पॉलिप्स, सूजन और रक्तस्त्राव की स्थिति का पता लगाते हैं।
इलाज के तौर पर सर्जरी कर बड़ी आंत से प्रभावित हिस्से को हटाया जाता है। पहले यह प्रक्रिया जटिल मानी जाती थी लेकिन लेप्रोस्कोपिक कोलोरेक्टल सर्जरी ओपन सर्जरी के मुकाबले फायदेमंद है। कोलनोस्कोपी कराएं
इसमें पतली ट्यूब (कोलनोस्कोप ) से बड़ी आंत की अंदरूनी सतह का परीक्षण करते है। इससे अल्सर, पॉलिप्स, सूजन और रक्तस्त्राव की स्थिति का पता लगाते हैं।
ये रखें ध्यान
डाइट में फायबर (अलसी, दलिया ओट्स), मौसमी फल व हरी सब्जियां लें। जीवनशैली को सुधारें। रुटीन में एक्सरसाइज जरूर शामिल करें। एक उम्र के बाद जांच जरूर कराएं।
डाइट में फायबर (अलसी, दलिया ओट्स), मौसमी फल व हरी सब्जियां लें। जीवनशैली को सुधारें। रुटीन में एक्सरसाइज जरूर शामिल करें। एक उम्र के बाद जांच जरूर कराएं।