इन कारणों से होती है समस्या-
गलत ढंग से बैठने, लेटकर टीवी देखने या बिस्तर पर लेटकर पढ़ने से ये समस्या हो जाती है। सवाईकल स्पांडिलाइटिस गलत तरीके से लेटने, बढ़ती उम्र, गलत अवस्था में काफी देर तक बैठे रहना, काम के कारण गर्दन पर अधिक तनाव आना, गर्दन व रीढ़ की हड्डी में चोट लगना, स्लिप-डिस्क और मोटापा भी इसके कुछ कारण हैं। यदि पूरे परिवार में स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या है तो नई पीढ़ी में भी यह समस्या हो सकती है।
इसके लक्ष्ण-
गर्दन में धीरे-धीरे दर्द महसूस होता है । दर्द लगातार बढ़ता जाता है।
गर्दन में अकड़न आने लगती है।
कार्यक्षमता में कमी महसूस होती है।
स्वभाव लगातार चिड़चिड़ा होता जाता है।
तनाव और चिंता लगातर बढ़ती जाती है।
भुजाओं में कमजोरी का एहसास होता है।
गर्दन और हाथों में झनझनाहट होती है।
उपचार –
गर्दन के दर्द को अनदेखा ना करें, डॉक्टर की परामर्श से एक्सरसाइज या इलाज करें, बॉडी का पोश्चर ठीक रखें। नियमित व्यायाम और योग करें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। लम्बे समय तक डेस्क वर्क और बिना ब्रेक के काम करने से भी सवाईकल स्पांडिलाइसिस हो सकता है। गलत तरीके से तकिया लगाने से भी दिक्कत होती है। गर्दन, बाजू व रीड की हड्डी में दर्द इसके प्रारम्भिक लक्षण होते हैं। डॉक्टर की परामर्श से राहत मिल सकती है।