रोग और उपचार

गैस की दवाओं से शिशुओं में होता है इस बीमारी का जोखिम

गर्भावस्था में जो महिलाएं नियमित रूप से प्रोटोन पंप इनहिबिटर दवाएं लेती हैं उनके शिशुओं में बचपन में अस्थमा होने का जोखिम 34 फीसदी बढ़ जाता है।

Apr 24, 2019 / 10:55 am

Jitendra Rangey

research story

रिसर्च स्टोरी
गर्भावस्था में जो महिलाएं नियमित रूप से प्रोटोन पंप इनहिबिटर (जैसे पैन्टाप्राजोल) जैसी एंटासिड दवाएं लेती हैं उनके शिशुओं में बचपन में अस्थमा होने का जोखिम 34 फीसदी बढ़ जाता है। जबकि हिस्टामाइन-2 रिसेप्टर (रैनटेक, फेमोसिड) दवाएं लेने पर जोखिम 57 फीसदी बढ़ जाता है। यह शोध पैडियोट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। रिसर्च के मुखिया चीन की झेजियांग यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. हुआहाओ शेन हैं।
परफेक्ट होने की चाह में बीमार हो रहे युवा
यूके की बाथ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता थॉमस क्यूरन ने अपने शोध में पाया है कि आजकल के युवा परफेक्ट होने की चाहत में मानसिक रूप से बीमार रहने लगे हैं। परफेक्ट बनने के चक्कर में ये खुद के समक्ष अव्यावहारिक लक्ष्य रख लेते हैं और फिर उसे हासिल न कर पाने की सूरत में खुद को कोसते हैं। इससे इन पर मानसिक दबाव पड़ता है। करीब 42,000 छात्रों पर अध्ययन करने के बाद पाया कि यूथ्स में परफेक्ट होने का दबाव होता है।

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