लक्षण : शरीर पर लाल चकत्ते, पल्स कमजोर होना, सुस्ती, उल्टी आना, होठों पर सूजन व सांस लेने में तकलीफ होती है। कुछ मामलों में समस्या बढ़ने पर बीपी कम होने, डायरिया, आंखों व चेहरे पर सूजन होती है।
कारण : मधुमक्खी के काटने, मूंगफली, फंगस, खास दवाओं, इंजेक्शन के दुष्प्रभाव से त्वचा पर असर होता है। इसकी मुख्य वजह एंटीजन और एंडीबॉडी रिएक्शन है। इन्हें ज्यादा खतरा : वैसे तो यह सिर्फ शिशु को ही नहीं बड़ों में किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। लेकिन पांच साल की उम्र से छोटे बच्चे त्वचा पर होने वाली परेशानी को बता नहीं पाते इस कारण स्थिति गंभीर हो जाती है।
जांच, इलाज व बचाव
स्किन पैच टैस्ट और ब्लड टैस्ट कर इसका पता लगाते हैं। इसके तहत त्वचा पर पैच लगाने के बाद यदि लाल चकत्ते उभरें या खुजली हो तो समस्या की पहचान होती है।
स्किन पैच टैस्ट और ब्लड टैस्ट कर इसका पता लगाते हैं। इसके तहत त्वचा पर पैच लगाने के बाद यदि लाल चकत्ते उभरें या खुजली हो तो समस्या की पहचान होती है।
एंटीहिस्टेमाइन और एंटीएलर्जिक दवाओं के अलावा गंभीर स्थिति में एड्रिनलिन इंजेक्शन से इलाज करते हैं। आईवी फ्लूड, ऑक्सीजन देने के साथ वासोप्रेशर देकर बीपी कंट्रोल करते हैं। जितना हो सके एलर्जी वाली चीजों से दूर रहें। त्वचा पर किसी भी तरह का रिएक्शन दिखे तो तुरंत शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।