डिंडौरी। मध्यप्रदेश की आदिवासी महिला लहरी बाई (lahri bai) की दुनियाभर में चर्चा हो रही है। लहरी बाई पोषक अनाज की ब्रांड एंबेसडर (brand ambassador of millet) भी बन गई है और उन्होंने अनाज के बीजों की 150 से अधिक किस्मों को संरक्षित कर एक बैंक बना दिया है। डिंडौरी कलेक्टर से लेकर देश के प्रधानमंत्री कार्यालय तक और संयुक्त राष्ट्र में भी इस गरीब महिला को मान-सम्मान मिल रहा है। पीएम मोदी (pm narendra modi) ने गुरुवार को ट्वीट कर लहरी बाई पर गर्व व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक वीडियो रीट्वीट करते हुए लिखा है कि लहरी बाई पर गर्व है, जिन्होंने श्री अन्न के प्रति उल्लेखनीय उत्साह दिखाया है। उनके प्रयास अन्य लोगों को भी प्रेरित करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पिछले दिनों डिंडौरी जिले में मोटे अनाज का जिक्र किया था। इसके बाद मोटे अनाज के लिए माहौल बनता गया। 27 साल की लहरी बाई बताती हैं कि मोटे अनाज (मिलेट) की करीब 150 से भी अधिक किस्मों को संरक्षित किया है। उनके देसी बीजों के बैंक की चर्चा होने के बाद लहरी बाई को मिलेट की ‘ब्रांड एंबेसडर’ का भी खिताब मिल गया।
ऐसे बनी ब्रांड एंबेसडर
खतरनाक जंगलों के बीच सिलपिड़ी गांव की रहने वाली बैगा आदिवासी महिला लहरी बाई की जिद और जुनून ने आज दुनिया में पहचान दिला दी। उसने विलुप्त हो रहे मिलेट क्राप्स (मोटे अनाज) को संरक्षित करने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। स्कूल में भी कदम नहीं रखा और कच्चे घर को ही बीज बैंक बना दिया। लहरी बाई की चर्चा संयुक्त राष्ट्र संघ (uno) तक हुई तो कलेक्टर ने लहरी बाई की ब्रांडिंग की। कलेक्टर समेत कई स्थानों पर लहरी बाई के पोस्टर लगाए गए। आज लोग लहरी बाई को मिलेट्स की ब्रांड एंबेसडर कह रहे हैं।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। इसका उद्देश्य विश्वस्तर पर मिलेट उत्पादन और इसकी खपत को बढ़ावा देना है, जिससे स्वस्थ और निरोगी काया लोगों को मिले और किसानों की आय भी दोगुनी हो। इसी लक्ष्य के साथ भारत में श्री अन्न उगाने वाले किसानों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कड़ी मेहनत रंग लाई
लहरी बाई को हमेशा उपहास मिलते गए, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह किए बगैर कड़ी मेहनत की और मिलेट के बीजों का संरक्षण किया और अपना देसी बीज बैंक ही बना दिया। लहरी बाई अनुभव से बताती हैं कि उन्होने किशोरावस्था से ही मिलेट के बीजों का संरक्षण चालू कर दिया था। बैगा आदिवासी समुदाय के लोग उनका काफी मजाक उड़ाते थे, लेकिन उनके मन में सिर्फ दो ही मिशन थे। एक तो शादी न करके माता-पिता की सेवा करना और दूसरे मिलेट के बीजों का संरक्षण करके इनकी खेती को बढ़ावा देना।
सराहना मिलती गई
आज मोटे अनाज के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में लहरी बाई के काम को देख दुनियाभर में सराहना हो रही है। इस योगदान के लिए डिंडौरी कलेक्टर विकास मिश्रा (dindori collector vikas mishra) ने लहरी बाई का नाम स्कालरशिप के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के जोधपुर केंद्र को भी भेजा है।
एक नजर
लहरी बाई अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ दो कमरे वाले कच्चे मकान में रहती हैं। दो कमरों में से एक कमरे में बीज बैंक बना रखा है। पीएम आवास योजना के तहत ग्राम पंचायत के कई चक्कर लगाए, लेकिन पात्र होने के बावजूद आवास योजना का लाभ नहीं मिला, कलेक्टर ने जल्द आवास योजना के तहत पक्का मकान देने का आश्वासन दिया है।
क्या है मिलेट
मिलेट क्राप्स मोटे अनाज वाली फसलों को कहते हैं, जिसमें ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी, सांवा, रागी, कुट्टू और चीना आदि अनाज आते हैं। मिलेट क्राप्स को सुपरफूड भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें पोषक तत्वों की सबसे अधिक मात्रा रहती है।