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महिला किसानों के लिए प्रेरणा बनी दीदी, नौ महिलाओं का बदल दिया जीवन

शेड नेट में सब्जी की खेती कर कमा रहीं मुनाफाडिंडौरी. बजाग विकासखंड अंतर्गत शोभापुर निवासी जलावती दीदी महिला किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी हुई हैं। वह पारंपरिक खेती से अपनी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रही थीं। उनका पारिवारिक आय स्रोत केवल धान, गेहूं और सब्जी में भाजी की खेती तक ही सीमित था। […]

डिंडोरीDec 23, 2024 / 02:34 pm

Prateek Kohre

शेड नेट में सब्जी की खेती कर कमा रहीं मुनाफा
डिंडौरी. बजाग विकासखंड अंतर्गत शोभापुर निवासी जलावती दीदी महिला किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी हुई हैं। वह पारंपरिक खेती से अपनी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रही थीं। उनका पारिवारिक आय स्रोत केवल धान, गेहूं और सब्जी में भाजी की खेती तक ही सीमित था। इससे खासा मुनाफा नहीं मिलता था। जलावती दीदी को अजीविका मिशन ने सहायता प्रदान की। आजीविका मिशन के तहत स्वयं श्री परियोजना के अंतर्गत प्रदान संस्था ने जलावती दीदी को शेड नेट में खेती की तकनीक सिखाई। मिशन से जलावती बाई ने शेड नेट लगाने और शुरुआती बीज एवं खाद की व्यवस्था के लिए 15000 रूपए की आर्थिक मदद ली। अजीविका मिशन के सहयोग से उन्नत खेती तकनीक और जैविक उत्पादन की जानकारी प्राप्त लेने के साथ ही संरचना निर्माण में शेड नेट लगाने और ड्रिप सिंचाई प्रणाली के लिए सब्सिडी प्राप्त की। उन्होंने अपना अंशदान देकर 5 डेसीमल क्षेत्र में शेड नेट स्थापित किया। पहले सीजन में उन्होंने शेड नेट में खीरा और दूसरे सीजन बरबटी की सब्जी लगाई। जलावती ने ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग और मचान तैयार कर खेती किया, जिससे पानी और उर्वरक की बचत हुई। खरपतवार, कीट व रोग का प्रकोप बहुत ही कम हुआ। कीटों से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया। शेड नेट के कारण फसल स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता की हुई। पहली फसल से जलावती बाई को 25,000 और दूसरी फसल से 11000 रुपए। इस प्रकार दोनों सीजन से कुल 36000 रुपए का मुनाफा मिला। पारंपरिक खेती के मुकाबले लागत भी कम रही, क्योंकि शेड नेट ने फसल को बाहरी नुकसान और अतिरिक्त खर्च से बचाया। शेड नेट खेती ने शोभापुर गांव में जलावती दीदी सहित 9 अन्य महिला किसानों के जीवन को भी बदल दिया है। अजीविका मिशन के इस नवाचार ने न केवल जलावती दीदी की आय में वृद्धि की है, बल्कि उनके गांव में खेती के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई है। जलावती दीदी का कहना है कि आजीविका मिशन के माध्यम से सरस्वती स्व सहायता समूह से जुडकऱ आज हमारा परिवार यहां तक पंहुंचा है। वह गांव की अन्य महिला किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी है। शेड नेट में सब्जी की खेती छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक आदर्श मॉडल साबित हो रही है।

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