वजह : घंटों बंद जगह या ऑफिस में समय बिताना, अधिक तनाव, पैदल चलने के बजाय वाहनों पर निर्भरता, शारीरिक श्रम की कमी, तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता, खराब खानपान आदि।
जांच का पैमाना : खून की जांच में ’25 हाइड्रोक्सीविटामिन-डी’ का स्तर देखकर इसका पता लगाया जाता है।
विशेषज्ञ इसके स्तर को इस तरह से देखते हैं-
25 नैनोग्राम/मिलिलीटर से स्तर कम होने पर कमी होना।
26 से 74 नैनोग्राम/मिलिलीटर के बीच स्थिति असंतोषजनक।
75 से 250 नैनोग्राम/मिलिलीटर के बीच स्थिति संतोषजनक।
250 नैनोग्राम/मिलिलीटर से ज्यादा विषैला
क्या करें : शरीर को विटामिन-डी का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा रोजाना आधा घंटा धूप में बिताने से ही मिल जाता है शरीर को पर्याप्त धूप लेने दें। मशरूम, बादाम, टोफू, दूध व दूध से बने पदार्थ से भी इसे प्राप्त किया जा सकता है। विशेषज्ञ धूप लेते समय सनस्क्रीन का प्रयोग न करने की सलाह देते हैं।
ध्यान रहे : किडनी व लिवर संबंधी बीमारियों से ग्रस्त मरीज, ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाएं व किसी अन्य असाध्य रोगों से ग्रस्त लोगों में इसकी कमी होने की आशंका ज्यादा रहती है। इसलिए ऐसे लोग इसकी जांच समय-समय पर करवाते रहें।