ताइवान में बौद्ध त्ज़ु ची मेडिकल फाउंडेशन के अध्ययन शोधकर्ताओं के अनुसार, यह संक्रमण आमतौर पर ई-कोलाई जैसे आंत बैक्टीरिया के कारण होता है, जो मूत्रमार्ग के माध्यम से मूत्र पथ में प्रवेश करता है और गुर्दे व मूत्राशय को प्रभावित करता है। कई शोधों में ये बात सामने आई है कि मांस का सेवन यूटीआई के लिए जिम्मेदार ई-कोलाई आंत बैक्टीरिया को बढ़ाता है। लेकिन अभी इस बात के ठोस सबूत नहीं हैं कि मांस से परहेज करने से यूटीआई का खतरा कम हो जाता है।
अध्ययन के लिए, अनुसंधान दल ने ताइवान में 9,724 बौद्धों में यूटीआई की घटनाओं का आकलन किया, जिन्होंने त्ज़ु वेजी शाकाहारी अध्ययन में भाग लिया। यह एक अध्ययन है जिसने ताइवान के बौद्धों में स्वास्थ्य परिणामों पर शाकाहारी आहार की भूमिका की जांच की। शोधकर्ताओं ने पाया कि गैर-शाकाहारियों की तुलना में शाकाहारियों में यूटीआई का समग्र जोखिम 16 प्रतिशत कम था।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि शाकाहारी भोजन से जुड़े यूटीआई जोखिम की कमी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक थी, हालांकि बिना आहार के आधार पर, पुरुषों में समग्र यूटीआई का जोखिम महिलाओं की तुलना में 79 प्रतिशत कम था। अध्ययन में यह सुझाव दिया कि ई-कोलाई के सामान्य स्रोतों जैसे कि पोल्ट्री और पिग का मांस नहीं खाने से, शाकाहारी ई कोलाई से बच सकते हैं, जो यूटीआई का कारण बनता है।
शोधकर्ताओं ने यह भी प्रस्ताव दिया कि उच्च फाइबर सेवन के साथ शाकाहारी भोजन आंत में ई कोलाई के विकास को रोक सकता है और आंत को अधिक अम्लीय बनाकर यूटीआई के जोखिम को कम कर सकता है।
उन्होंने कहा कि यूटीआई जोखिम, रोगजनकों और शाकाहारी आहार के बीच संबंधों को स्पष्ट करने के लिए अभी और अध्ययनों की आवश्यकता है।