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शरीर के लिए घातक है मीठी लगने वाली चीनी, नशीली दवा जैसी लत

कभी आपने सोचा है कि मीठी लगने वाली चीनी किस तरह कई बीमारियों का कारण बन जाती है? यदि थोड़ा गौर करेंगे तो सब साफ हो जाएगा। चीनी व कोकीन दोनों में ही सफेद रिफाइंड और सफेद क्रिस्टल पाउडर होते है। इन दोनों में फर्क नाइट्रोजन अणु का होता है। दोनों शक्तिशाली रासायनिक तत्व हैं, जिनसे मजबूत शारीरिक व भावनात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है। तंबाकू व शराब पर चेतावनी लिखी होती है, लेकिन ऐसी कोई चेतावनी चीनी पर नहीं होती। शराब व तंबाकू की तरह चीनी भी एक लत है।

Jun 17, 2023 / 02:08 pm

Jyoti Kumar

कभी आपने सोचा है कि मीठी लगने वाली चीनी किस तरह कई बीमारियों का कारण बन जाती है? यदि थोड़ा गौर करेंगे तो सब साफ हो जाएगा। चीनी व कोकीन दोनों में ही सफेद रिफाइंड और सफेद क्रिस्टल पाउडर होते है। इन दोनों में फर्क नाइट्रोजन अणु का होता है। दोनों शक्तिशाली रासायनिक तत्व हैं, जिनसे मजबूत शारीरिक व भावनात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है। तंबाकू व शराब पर चेतावनी लिखी होती है, लेकिन ऐसी कोई चेतावनी चीनी पर नहीं होती। शराब व तंबाकू की तरह चीनी भी एक लत है।

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चीनी सफेद क्रिस्टल है, जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद नहीं। मौजूदा लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों में से अधिकांश का कारण यह चीनी है। सफेद चीनी इतनी रिफाइंड और कॉन्सनट्रेटेड होती है कि वह शुद्ध ड्रग बन जाती है।

 

ग्लूकोज है जरूरी
ग्लूकोज वह प्राकृतिक चीनी है जो फल, सब्जी, अंकुरित अनाज के जरिए हमारे रक्त में मौजूद होती है। यदि यह नहीं हो, तो शारीरिक कमजोरी आने लगेगी।

शक्कर की लत है बुरी
डॉ. जी. डी. रामचंदानी के अनुसार शरीर में शुगर लेवल बढऩे पर पैनक्रियाज की बीटासेल्स शुगर को कोशिकाओं के अंदर भेज देती हैं या फैट और ग्लाइकोजिन में बदल देती हैं। जब ये ग्लाइकोजिन इकट्ठा होता रहता है, तो वजन बढऩे लगता है। यही वजन आगे चलकर डायबिटीज में भी बदल सकता है। अगर आपका बच्चा रोटी, चावल या ब्रेड चीनी के साथ खाता है, तो उसे ऐसा करने से रोकें क्योंकि इससे उसका वजन बढ़ेगा। बच्चों के लिए जरूरी है कि वे संतुलित आहार लें जिसमें प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल्स सभी समान अनुपात में हों।

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कमी से कोई नुकसान नहीं
शरीर को ऊर्जा के लिए ईंधन की जरूरत होती है जो उसे ग्लूकोज से मिलता है, लेकिन जब हम कुछ नहीं खाते तो हृदय और दिमाग की कोशिकाओं को परेशानी होने लगती है और हमें चक्कर आने लगते हैं। ऐसे में लिवर, मांसपेशियां और एडिकोज टिश्यू अपने अंदर पहले से मौजूद अतिरिक्तग्लाइकोजिन को शुगर में बदलकर बॉडी में रिलीज कर देते हैं। इसी वजह से लोग कई दिनों तक उपवास रख लेते हैं।

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इतनी चीनी चलेगी
विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई गाइडलाइंस के अनुसार रोजाना ली जाने वाली कैलोरी का 10 फीसदी शुगर होना चाहिए। कैलोरी की यह मात्रा आपके कामकाज पर निर्भर करती है, जैसे यदि आपका वजन 50 किलोग्राम है और आपकी दिनचर्या सामान्य है, तो आपको 1500 कैलोरी प्रति किलोग्राम रोजाना चाहिए। अगर आप सारा दिन बैठे रहते हैं, तो 20 कैलोरी प्रति किलोग्राम और शारीरिक कामकाज ज्यादा है तो 35 कैलोरी प्रति किलोग्राम रोजाना लें। चीनी के कई नाम हैं। फ्रक्टोज, माल्टोज, लैक्टोज, सूक्रोज और डेक्सट्रोज, इन सभी का अर्थ चीनी होता है। कृत्रिम चीनी की बजाय नैचुरल शुगर के विकल्पों को आजमाएं जो फलों और मेवों में भरपूर होती है।

 

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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