पोटेशियम ब्रोमेट
इसके सेवन से कैंसर का खतरा रहता है। इसे ब्रेड और बेकरी उत्पादों में मिलाया जाता है। पोटेशियम ब्रोमेट आटे को लचीला बनाता है। इससे बनी चीजों को यदि उच्च तापमान पर नहीं पकाया जाए तो यह उनमें ही रह जाता है।
इसके सेवन से कैंसर का खतरा रहता है। इसे ब्रेड और बेकरी उत्पादों में मिलाया जाता है। पोटेशियम ब्रोमेट आटे को लचीला बनाता है। इससे बनी चीजों को यदि उच्च तापमान पर नहीं पकाया जाए तो यह उनमें ही रह जाता है।
सोडियम बेंजोएट
सॉस, फ्रूट जूूस, जैम और अचार आदि में इस प्रिजर्वेटिव का प्रयोग किया जाता है जिसका अधिक इस्तेमाल कैंसर की आशंका को बढ़ाता है। ट्रांस फैट
वेजीटेबल ऑयल में हाइड्रोजन मिलाने से उसमें ट्रांस फैट की अधिकता बढ़ जाती है। इससे उत्पाद को लंबे समय तक सुरक्षित तो रखा जा सकता है लेकिन खाने वाले के शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है जो आगे चलकर हृदयरोग या हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।
सॉस, फ्रूट जूूस, जैम और अचार आदि में इस प्रिजर्वेटिव का प्रयोग किया जाता है जिसका अधिक इस्तेमाल कैंसर की आशंका को बढ़ाता है। ट्रांस फैट
वेजीटेबल ऑयल में हाइड्रोजन मिलाने से उसमें ट्रांस फैट की अधिकता बढ़ जाती है। इससे उत्पाद को लंबे समय तक सुरक्षित तो रखा जा सकता है लेकिन खाने वाले के शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है जो आगे चलकर हृदयरोग या हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।
रिफाइंड ग्रेन्स
रिफाइंड ग्रेन्स जैसे वाइट ब्रेड, वाइट राइस व वाइट पास्ता हृदय रोगों का खतरा बढ़ाते हैं। इनमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है जिससे मोटापा बढ़ता है। इनमें की जाने वाली कलरिंग भी खतरनाक होती है। इसकी बजाय साबुत अनाज जैसे जौ, ज्वार व मक्का आदि का प्रयोग करें।
रिफाइंड ग्रेन्स जैसे वाइट ब्रेड, वाइट राइस व वाइट पास्ता हृदय रोगों का खतरा बढ़ाते हैं। इनमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है जिससे मोटापा बढ़ता है। इनमें की जाने वाली कलरिंग भी खतरनाक होती है। इसकी बजाय साबुत अनाज जैसे जौ, ज्वार व मक्का आदि का प्रयोग करें।
प्रोपाइल गैलेट
मीट उत्पाद, वेजीटेबल ऑयल, पोटेटो स्टिक्स, च्यूंइगम और रेडी टू यूज सूप में इसका प्रयोग होता है। ये उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ाते हैं लेकिन इनके अधिक इस्तेमाल से पेट के कैंसर का खतरा बढ़ता है। इसके लिए घर पर ही सब्जियों से सूप व आलू के चिप्स आदि बनाए जा सकते हैं।
मीट उत्पाद, वेजीटेबल ऑयल, पोटेटो स्टिक्स, च्यूंइगम और रेडी टू यूज सूप में इसका प्रयोग होता है। ये उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ाते हैं लेकिन इनके अधिक इस्तेमाल से पेट के कैंसर का खतरा बढ़ता है। इसके लिए घर पर ही सब्जियों से सूप व आलू के चिप्स आदि बनाए जा सकते हैं।
शरीर में होने वाले ज्यादातर रोगों का केंद्र पेट ही होता है। ऐसे में खानपान के मामले में थोड़ी-सी भी लापरवाही कई बीमारियों की वजह बनती हैं। इसलिए सावधानी ही बचाव है। फ्रक्टोज कॉर्न सिरप
कृत्रिम स्वीटनर वाला हाई फ्रक्टोज कॉर्न सिरप नैचुरल स्वीटनर्स से सस्ता है। इसे वीट ब्रेड, हेम बर्गर बन, मफिन्स, बियर, सॉफ्ट ड्रिंक्स और कैचअप में मिलाया जाता है।सॉफ्ट ड्रिंक्स और कैचअप में मिलने वाला फ्रक्टोज कॉर्न सिरप शरीर के लिए घातक हो सकता है।इनसे हृदयरोग-मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण ओवर ईटिंग होती है जिससे मोटापा बढ़ता है। इनकी बजाय घर पर ही इडली, ढोकला, उपमा आदि बनाकर खाएं।
कृत्रिम स्वीटनर वाला हाई फ्रक्टोज कॉर्न सिरप नैचुरल स्वीटनर्स से सस्ता है। इसे वीट ब्रेड, हेम बर्गर बन, मफिन्स, बियर, सॉफ्ट ड्रिंक्स और कैचअप में मिलाया जाता है।सॉफ्ट ड्रिंक्स और कैचअप में मिलने वाला फ्रक्टोज कॉर्न सिरप शरीर के लिए घातक हो सकता है।इनसे हृदयरोग-मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण ओवर ईटिंग होती है जिससे मोटापा बढ़ता है। इनकी बजाय घर पर ही इडली, ढोकला, उपमा आदि बनाकर खाएं।
सोडियम नाइट्रेट
हेम बर्गर, हॉट डॉग्स और सॉसेज आदि में इस प्रिजर्वेेटिव का प्रयोग किया जाता है। इससे अस्थमा का खतरा बढ़ता है और फेफड़ों के रोग होने की आशंका भी होने लगती है। एस्परटेम
लो कैलोरी डाइट फूड और शक्कर के विकल्प के रूप में इस कृत्रिम स्वीटनर का उपयोग होता है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से माइग्रेन, नेत्रदोष और सिरदर्द होने लगता है।
हेम बर्गर, हॉट डॉग्स और सॉसेज आदि में इस प्रिजर्वेेटिव का प्रयोग किया जाता है। इससे अस्थमा का खतरा बढ़ता है और फेफड़ों के रोग होने की आशंका भी होने लगती है। एस्परटेम
लो कैलोरी डाइट फूड और शक्कर के विकल्प के रूप में इस कृत्रिम स्वीटनर का उपयोग होता है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से माइग्रेन, नेत्रदोष और सिरदर्द होने लगता है।
सॉल्ट यानी नमक
जिन खाद्य पदार्थों में नमक की मात्रा ज्यादा होती है वे स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं। जैसे पैक्ड वेजीटेबल, फास्ट फूड, चिप्स, नमकीन व सूप आदि। इनके अधिक प्रयोग से ब्लडप्रेशर बढ़ता है और हृदयरोग व स्ट्रोक का खतरा रहता है। दिनभर में नमक की 6 ग्राम से ज्यादा मात्रा न लें।
जिन खाद्य पदार्थों में नमक की मात्रा ज्यादा होती है वे स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं। जैसे पैक्ड वेजीटेबल, फास्ट फूड, चिप्स, नमकीन व सूप आदि। इनके अधिक प्रयोग से ब्लडप्रेशर बढ़ता है और हृदयरोग व स्ट्रोक का खतरा रहता है। दिनभर में नमक की 6 ग्राम से ज्यादा मात्रा न लें।
खानपान में प्रोसेस्ड और प्रिजर्वेेटिव्स फूड की बजाय देसी फूड को प्राथमिकता दी जाए तो कई बीमारियों से न केवल मुक्ति पाई जा सकती है बल्कि सेहतमंद भी रहा जा सकता है।