सामान्य रूप से शरीर का विकास 20 वर्ष की उम्र तक होता है। इस समय हर तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है जबकि प्रोटीन सप्लीमेंट्स कुछ खास विशेष लोगों की जरूरतों की पूर्ति के लिए हैं। ऐसे में अगर कोई कम उम्र में लेता है तो उसके शरीर में दूसरे पोषक तत्वों की कमी हो सकती, ठीक विकास नहीं होगा।
प्रोटीन सप्लीमेंट्स पचने के बाद शरीर में अमोनिया बनाता है। अमोनिया को शरीर यूरिया में बदलता है जो यूरिन के रास्ते बाहर निकलता है। जब अमोनिया को यूरिया में बदलने वाले एंजाइम में परेशानी होती है तो यूरिया साइकल डिसऑर्डर होता है। इसमें व्यक्ति का ब्रेन भी डैमेज हो सकता है।
नेचुरल प्रोटीन सप्लीमेंट्स सप्ताह में एक-दो बार ले सकते हैं। लेकिन कुछ कंपनियों के प्रोटीन सप्लीमेंट्स में आर्सेनिक, पारा, लैड आदि हैवी मेटल्स होते हैं जिनसे हार्ट, किडनी और लिवर जैसे प्रमुख अंग डैमेज हो जाते हैं। बाजार में नकली और मिलावटी भी प्रोटीन सप्लीमेंट्स भी बहुत हैं। इन्हें बिल्कुल न लें।
– प्रोटीन सप्लीमेंंट की जगह डेयरी प्रोडक्ट, अंकुरित अनाज, दालें, अंडा, नॉनवेज लें। इनमें जरूरी पोषक तत्व होते हैं।
– नेचुरल प्रोटीन सप्लीमेंट ही लें। कुछ प्रोटीन सप्लीमेंट्स में स्टेराइॅड्स, प्रिजर्वेटिव्स, रंग, मिठाई, अरोमा आदि भी मिलाते हैं। इनसे नुकसान होता है।
– कोशिश करें कि इनको लेने से पहले अपने फिजिशियन या डायटीशियन से भी चर्चा कर लें।
– आप चाहें तो कई तरीके हैं जिन्हें डायटीशियन से सीखकर घर में खुद भी प्रोटीन सप्लीमेंट तैयार कर सकते हैं।
प्रोटीन शरीर के लिए प्रमुख है लेकिन इसके साथ अन्य पोषक तत्व भी जरूरी होते हैं। संतुलित आहार पर ध्यान दें। डॉ. सुनील वर्मा, सीनियर
फिजिशियन, लखनऊ