ऐसे हुआ अध्ययन इस अध्ययन में सामने आया कि वजन कम करने के लिए धीमी गति से की गई प्रक्रिया से कहीं ज्यादा प्रभावशाली क्रैश डाइटिंग यानी तेजी से की गई डाइटिंग (Crash dieting for fast weight loss) होती है। हालांकि ज्यादातर हैल्थ विशेषज्ञ और डाइटीशियन मानते हैं कि लंबे समय के लिए की जाने वाली डाइटिंग कहीं ज्यादा प्रभावी होती है, जबकि इस नए अध्ययन में ठीक इसके उलट बात सामने आई है।
200 मोटे लोगों पर किए गए इस अध्ययन में आधे लोगों को 12 सप्ताह में 12.5 फीसदी वजन कम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जबकि बाकी लोगों को वजन कम करने के लिए 36 सप्ताह दिए गए। रिसर्च में पाया गया कि वजन घटाने की धीमी प्रक्रिया में शामिल 50 फीसदी लोगों की तुलना में तेजी से वजन घटाने (lost weight faster) वाले लोगों ने लक्ष्य पूरा कर लिया।
यह है क्रैश डाइटिंग what is crash dieting क्रैश डाइटिंग (crash dieting) वह डाइट होती है जिसमें रोजाना ली जाने वाली कैलोरी की मात्रा कम कर दी जाती है ताकि फौरन वजन कम हो सके। शोध में विशेषज्ञों ने इसे सही इसलिए माना क्योंकि एक बार जब क्रैश डाइटिंग (crash dieting) से व्यक्ति का वजन घट जाता है तो उस स्थिति को बनाए रखने के लिए वह व्यायाम, खानपान में सुधार और सही दिनचर्या अपनाता है।
ऐसे होती है डाइटिंग फ्रूट जूस Fruit Juice: इस दौरान लोग दो माह तक केवल फू्रट जूस लेते हैं।
ग्रेपफू्रट डाइट Grapefruit Diet: इस डाइट में खाने से पहले या उसके साथ में अंगूर का जूस 10 दिन तक लेना होता है और चीनी, चावल व आलू से परहेज करना होता है।
कैबेज सूप Cabbage Soup: इसमें पत्तागोभी से तैयार जूस दिन में दो से तीन बार सात दिनों तक लेना होता है। इसी तरह से कई प्रकार की क्रैश डाइट का चलन विदेशों में है। लेकिन अगर आप किसी भी प्रकार की डाइटिंग करना चाहते हैं तो डाइटीशियन की सलाह जरूर लें क्योंकि हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट व उसकी जरूरतें अलग-अलग होती हैं।
ध्यान रहे ये बातेंअगर आप हाल ही किसी बीमारी से उबरे हैं या आपको कोई अन्य रोग है तो क्रैश डाइटिंग (crash dieting ) बिल्कुल न करें। क्योंकि बीमारी से स्वस्थ होने के बाद भी हमारा शरीर पहले की अवस्था में खुद को लाने के लिए रिकवर हो रहा होता है, जिसके लिए उसे संतुलित आहार और पोषक तत्वों की जरूरत होती है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।