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Barley benefits and side effects: अगर आहार में शामिल कर रहे हैं जौ, तो इन बातों का रखें ख्याल

जौ, वैसे तो साधारण अनाज है जो अधिकतर रसोई में मिल जाता है। ज्यादा फाइबर और कम कैलोरी वाला यह अनाज पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है। गर्मी शुरू हो गई हैं और इस अनाज को आप अपनी रोजाना की थाली में शामिल कर सकते हैं। एक कटोरी जौ में 96 ग्राम प्रोटीन, 23 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 23 ग्राम फैट, 8 ग्राम डाइट्री फाइबर और जीरो कॉलेस्ट्रोल होता है। रोजाना आप करीब 50 ग्राम जौ खा सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि इसकी मात्रा को धीरे-धीरे बढ़ाकर 50-60 ग्राम करें।

Aug 07, 2023 / 06:24 pm

Jyoti Kumar

Health benefits of Barley

जौ, वैसे तो साधारण अनाज है जो अधिकतर रसोई में मिल जाता है। ज्यादा फाइबर और कम कैलोरी वाला यह अनाज पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है। गर्मी शुरू हो गई हैं और इस अनाज को आप अपनी रोजाना की थाली में शामिल कर सकते हैं। एक कटोरी जौ में 96 ग्राम प्रोटीन, 23 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 23 ग्राम फैट, 8 ग्राम डाइट्री फाइबर और जीरो कॉलेस्ट्रोल होता है। रोजाना आप करीब 50 ग्राम जौ खा सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि इसकी मात्रा को धीरे-धीरे बढ़ाकर 50-60 ग्राम करें।

 

कई रोगों से बचाता जौ
हृदय रोग : हार्ट हैल्थ के लिए जौ बेहद फायदेमंद माना गया है। इसमें बीटा ग्लूकन एक खास पोषक तत्त्व है जो फाइबर है। यह बैड कोलेस्ट्रोल को कम और हाइ बीपी में राहत पहुंचाने का काम करता है।

 

डायबिटीज : टाइप टू डायबिटीज में जौ का आटा लाभकारी होता है। इसमें एंटी-डायबिटिक यानी ब्लड शुगर कम करने वाले तत्त्व पाए जाते हैं।

 

हड्डी रोग : बोन हैल्थ के लिए भी जौ का उपयोग कर सकते हैं। इसे दलिए के रूप में खाना लाभकारी होता है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस अच्छी मात्रा में होता है, जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।

 

कैंसर : इसमें सेलिनियम होता है जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। इसमें एंटी-एलर्जिक गुण होता है। इससे कुछ हद तक कैंसर का जोखिम भी कम होता है।

पाचन शक्ति : यह बार-बार भूख (हंगर पैंग्स) लगने को कम करता है। इस वजह से यह वजन कम करने में भी सहायक होता है। क्योंकि इससे बार-बार भूख का अहसास नहीं होता, साथ ही यह कब्ज से छुटकारा दिलाने में भी सहायक है।

 

ये लोग न खाएं
ऐसे लोग जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी है, यानी जो गेहूं नहीं खा सकते। इसमें भी ग्लूटेन पाया जाता है तो सीलियक डिजीज वाले रोगी इसे न खाएं।
अचानक भोजन में इसकी मात्रा न बढ़ाएं। धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाएं। इसके साथ ही पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।
इरीटेबल बाउल सिन्ड्रोम के मरीजों को जौ नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इसमें फ्रक्टेन होते हैं।

 

खाने का सही तरीका
इसे खाने का सबसे सही तरीका है, इसे भिगोकर या स्प्राउट्स के रूप में खाएं। इस तरह से इसमें मौजूद एटॉक्सिन इन्हीबिटर की मात्रा कम हो जाती है। ऐसे में जौ में उपस्थित सभी पोषक तत्त्व और आसान रूप में उपलब्ध हो जाते हैं। चपाती के आटे में भी इसे मिलाकर खा सकते हैं। इसके अलावा बेकरी आइटम्स जैसे केक, पेस्ट्री आदि भी इससे बना सकते हैं। नाश्ते में दूध और शहद के साथ इसे खाएं। इसके साथ ही जिस तरह से कॉर्नफ्लेक्स आते हैं, उसी तरह से जौ को फ्लेक्स के रूप में ले सकते हैं। बच्चों के लिए इसकी राबड़ी बना सकते हैं।

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