खाने का स्वाद बढ़ाने के अलावा एंटीबायोटिक तत्त्वों से भरपूर कच्ची हल्दी शरीर में बाहरी और आंतरिक दोनों तरह से असर करती है। बाहरी रूप से किसी घाव, चोट या फेसपैक में मिलाकर लगा सकते हैं। वहीं सब्जी, अचार या दूध में उबालकर पीना आंतरिक रूप से फायदेमंद है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर खून साफ करने का काम करती है। उष्ण प्रकृति होने के कारण सर्दियों में इसका प्रयोग शरीर का तापमान सामान्य रखने में मददगार है। साथ ही सूजन की समस्या में कारगर है।
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गठिया रोगियों में दर्द-सूजन को दूर करती है। कफरोधक होने से मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है। रक्तसंचार बेहतर करने के साथ हल्दी सांस रोग जैसे अस्थमा में राहत पहुंचाती है। किसी प्रकार के पुराने दर्द, जोड़दर्द व त्वचा रोगों में यह उपयोगी है।
कच्ची हल्दी की सब्जी रोजाना खा सकते हैं। अचार सीमित मात्रा में खाएं। जिन्हें पेट में अल्सर, हाई बीपी, एसिडिटी, पेशाब या पेट में जलन हो वे डॉक्टरी सलाह से लें।
रोजाना 2 चम्मच अलसी का सेवन सेहत के लिए है बेहद फायदेमंद
कच्ची हल्दी 1 किलो (हल्दी गठीली हो यानी नर्म न हो), नमक 30 ग्राम, लाल मिर्च पाउडर 20 ग्राम, दरदरी पिसी सौंफ -30 ग्राम, पिसी राई -20 ग्राम, कलौंजी – 10 ग्राम, काली मिर्च- 10 ग्राम, चुटकीभर हींग, सरसों का तेल 400 मिली।
हल्दी को अच्छी तरह से धोकर व छीलकर छाटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। दोबारा पानी से धोकर ३-४ घंटे अच्छी तरह सुखा लें। धीमी आंच पर कढाही में तेल गर्म कर हल्दी डालें, पांच मिनट तक हल्दी को कम आंच पर पकने दें। उसके बाद उसमें सभी मसाले मिलाएं। दो मिनट बाद गैस बंद कर दें। ठंडा होने पर कांच के बर्तन में रखें।