ये हैं लाभ –
सिरदर्द, कमरदर्द, कमजोर हड्डियां, खून की कमी, श्वेतप्रदर, गर्भाशय की सूजन व संक्रमण को दूर करने में सहायक हैं। डिलीवरी के बाद सर्दी या गर्मी किसी भी मौसम में महिलाओं की शारीरिक दुर्बलता दूर करते हैं साथ ही इनके प्रयोग से गर्भाशय की कमजोरी ठीक होती है।
ऐसे करें तैयार –
माजूफल, अश्वगंधा, सुआ, दालचीनी, कायफल, छोटी पिप्पली, नागकेशर, अजवायन, छोटी हरड़, लोध्र, निर्गुण्डी, चोपचीनी, सौंठ, मोचरस, मंजीष्ठा, मेथी, काली मूसली, सफेद मूसली, बला, मखाना, लाजवन्ती, मेदालकड़ी, गेंगची, कमरकस व मुनक्का आदि 5-5 ग्राम की मात्रा में लें। 10-10 ग्राम शतावरी और चिकनी सुपारी, 15 ग्राम गोंद, 50 ग्राम खोपरा, 150 ग्राम आटा, 2 किलो देशी घी व 500 ग्राम गुड़ लें। आटा, घी, गुड़ व खोपरा के अलावा बाकी सभी चीजों को कूटकर चूर्ण बना लें। इसके बाद आटे को 2 किलो घी में भून लें। गुड़ को कूटकर थोड़े घी में हल्का गर्म करें और भुना हुआ आटा मिला दें। सभी कुटी हुई जड़ीबूटियों को इस मिश्रण में मिला दें और आखिर में खोपरे को मिलाएं व इस मिश्रण से लड्डू तैयार करें। इसमें बादाम, किशमिश और काजू भी इच्छानुसार मिला सकते हैं।
इस तरह खाएं –
15 साल से कम उम्र की लड़कियां व 75 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं 25-35 ग्राम की मात्रा से बना 1 लड्डू सुबह खाली पेट लें। अन्य महिलाएं इसकी 50-70 ग्राम मात्रा यानी दो लड्डू ले सकती हैं। इसे दूध के साथ लेने से अधिक लाभ होता है।
ध्यान रखें –
इनकी तासीर गर्म होती है व पचने में समय लगता है इसलिए गर्भवती महिलाएं न लें। इस्तेमाल के दौरान खट्टे, अधिक तले-भुने व कब्ज करने वाली चीजों से परहेज करें।